एक ब्लॉगर की चिट्ठी

मित्रों ..
नमस्कार ...जुलाई 2019 के अंतिम सप्ताह से आज तक मैंने कुल 142 रचनायें अपने ब्लॉग पर प्रकाशित कीं . आप सभी का मुझे बहुत प्रेम मिला और इस अल्पावधि में मुझे 4500 से भी ज्यादा मित्रों नें पढ़ा और कुछ सुझाव भी मिले .
लगातार लेखन नें लेखनी को धार दी और पूरे विश्व खासकर अमेरिका , जर्मनी ,फ्रांस और खाड़ी के देशों में जहाँ कभी मैं शायद पहुँच भी नहीं पाता ....इस ब्लॉग नें मुझे पहुँचाया .

लेकिन इस अवधि में मेरी कहानियाँ और लेख  " एकालाप " बन कर रह गए और मेरी विस्तृत होने की इच्छा नें मुझे एक ऑनलाइन पत्रिका तक पहुँचा दिया . वहाँ मेरी मुलाकात अपने जैसे तमाम सजातीय जीवों से हुई . इस बीच जो मैं आपसे मिल नहीं पाया उसका एक बड़ा कारण ...उस पत्रिका में मेरा लेखन ही था . अब एक साथ दो मंचो पर लिखना ...मेरे लिए कठिन हो गया . 

आज मुझे आप लोगों की बहुत याद आयी और इसी कारण यह पत्र लिख रहा हूँ . मैं इस ब्लॉग के माध्यम से आप सभी को " प्रतिलिपि " पर आने का निमंत्रण देता हूँ . गूगल पर प्रतिलिपि लिख कर या बोल कर सर्च करें ....साईट खुलेगी और सर्च ऑप्सन में आप मेरा नाम " अरुण त्रिपाठी " टाइप करें . बस मेरी रचनाएँ आपके सामने होंगी ....और भी बहुत कुछ होगा जो आप को अवश्य पसंद आएगा .
उम्मीद है ...आप नियंत्रण स्वीकार करेंगे ...
सुभेच्छु 
हैप्पी अरुण 

Comments