मेरी कहानी 2

रोज की तरह आज भी मैं सुबह घूमने निकला . नीम की दातून मुँह में दबाए मैं गांव के प्राइमरी स्कूल के हैंडपंप पर पहुँचा और मुँह धो कर खेत की तरफ चल पड़ा . रास्ते में मेरे मित्र का घऱ पड़ा उन्होंने मुझे आदर के साथ चाय पिलाई और आगे चला .मैने देखा गांव के ही एक व्यक्ति अपने भाई को सहारा देकर ले जा रहे हैं . मेरे पूछने पर पता लगा कि उनके पैर में कील लग गई है एक हफ्ते से दवा चल रही है लेकिन दर्द और सूजन से कोई राहत नहीं है . मैं जानता हूँ उनको डायबिटीज है, मालूम पड़ा कि बढ़ी भी है .
मुझे पता था कि इसी तरह की परिस्थित थी जब  उनके पिता का पैर डॉक्टर को काटना पड़ा था . 
मैं मन ही मन दुःखी हुआ लेकिन क्या करता ? ये सोचता  हुआ कि मैं इनकी क्या सहायता कर सकता हूँ ? घर वापस आ गया .
शाम को जब मैं सब्जी लेने बाजार गया तो कुछ दूसरे सामान के लिए बनिया की दुकान पर पहुँचा , उसके बेटे की तबियत खराब थी , उसकी डाइबिटीज का  फास्टिंग लेबल 400 था , किडनी में स्टोन था और पेशाब में भयंकर जलन हो रही थी . ये आज क्या हो रहा था ? मैं  राम राम करते हुए घर  वापस आया .
घर पर बच्चों की किच किच मची थी , सबकी कुछ न कुछ मांग थी . दरवाजे पर बिल्डिंग मैटेरियल  वाला खड़ा  अपने बाकी पैसे माँग रहा था और पैसे मेरे पास थे नहीं . पत्नी अलग मुँह फुलाए थी कि  फला फलां सामान क्यों नहीं लाए . मैं अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में फसा था . फिर भी मैं बहुत खुश हूँ  क्योंकि मैं बीमार नहीं हूँ .

Comments