आज की कहानी

मैं अपने खेत की मेड़ पर बैठ कर सूर्योदय देख रहा था . तभी मैंने देखा एक किसान अपनी गाय को चारा दे कर जैसे ही अपने घर के भीतर गया . एक आवारा (छुट्टा )बछड़ा आया और गाय का सारा चारा खा गया . गाय किनारे खड़ी होकर बछड़े को चाटती रही यद्यपि बछड़ा उसका नहीं था . किसान लाठी लेकर आया बछड़ा भाग गया . उसने फिर चारा डाला , जैसे ही थोड़ा इधर उधर हुआ , बछड़ा फिर खा गया . अब  किसान लाठी ले कर बैठा है . सोचता हूं , किसान को समस्या  है और सही भी है . लेकिन गाय को समस्या नहीं है , जिसका चारा तीन बार एक आवारा जानवर  खा गया फिर भी गाय उसे अपने बच्चे की तरह चाटती रही .
घर की छत पर खड़ा देखता हूँ , कुछ लोग एक दिशा में भागे जा रहे हैँ , उनके लौटने पर जो कहानी पता चली उसके अनुसार बगल के गाँव में दस दिन से लाईट नहीं थी . ट्रांसफार्मर जल गया था . बार -बार अधिकारी से अनुरोध के बावजूद कोई कार्यवाई नहीं हो रही थी , अंततः लोगों ने लाइनमैन को पकड़ा और उसे मोटी मोटी गालियां देनी शुरू की और फिर शाम को गांव में बिजली आ ही गई . सोचता हूँ , डर भी ग़जब अच्छी चीज़ है .
मैं आँगन में शाम को बैठा अपनी बीवी के कहने पर दही मथ रहा था . बीवी बर्तन मांज रही थी . वाशिंगमशीन  की घर्र घर्र की आवाज गूँज रही थी .कपड़े लगभग धुल चुके थे . तभी मेरा चार साल का बेटा आया और उसने पूरा पैकेट वॉशिंग पाउडर मशीन में डाल दिया . अब पत्नी लगी चिल्लाने , उसका काम बढ़ गया था ,बच्चा डर कर मेरी गोद में चढ गया . पत्नी जोर जोर से बोलने लगी . मैं उसका मुँह देखता रहा अचानक अपने बाल गोपाल की इस बाल सुलभ चंचलता देख मैं आनन्द से भर कर हॅसने लगा . पत्नी भी हॅसने लगी , और मैं खुश हो कर दही मथने लगा .

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