बरसात की कहानी

आज भी भारी बरसात हो रही है . मैं  आज भी मॉर्निंग वॉक पर नहीं जा पाया . इस प्रलयंकर वर्षा में न छाता काम आता है न ही रेनकोट , फिर मैं क्या करता ? सड़क सुनसान और बच्चों का रेनी डे . मैं घर पर बैठा ऊब रहा था . मोबाइल नेटवर्क भी ग़ायब था , नेट कनेक्शन भी फेल . मैं किसी भी डिवाइस पर कोई भी काम कर पाने में असमर्थ था .
दोपहर के बाद बारिश रुक गई , थोड़ी चहल पहल बढी तो मैने गाड़ी निकाली और मंदिर की ओर चल पड़ा ,सब तरफ पानी ही पानी  . मेरे एक मित्र पंडित जी बैठे  भगवत का पाठ कर रहे थे . वातावरण एकदम शांत था . दो घंटे वही बैठे बैठे बीत गए .
शाम होते होते बारिस फिर शुरू हो गई मगर हलकी . मेढ़को की टर्र टर्र और झींगुरो का सामूहिक स्वर गूंज रहा है . अगर इसी तरह बरसात होती रही तो बाढ़ आ जाने की पूरी संभावना है .

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