आज की कहानी 2

आज रात से ही खूब बारिश हो रही है . मैं आज घूमने भी नहीं जा पाया . बहुत समय बाद ऐसा हुआ कि मैं मॉर्निंग वाक के लिए निकल ही नहीं पाया . बच्चों के स्कूल में भी छुटटी हो गई थी . पत्नी किसी से फोन पर बातें कर रही थी तभी मैं अपने बेटे की कोई गंभीर शरारत देख कर जोर से चिल्लाया . पत्नी किसी से बात करते हुए डिस्टर्ब हो गई ..और मेरी सामत आ गई , बीवी का रौद्ररूप देख मैं बाहर आकर  चुपचाप बरामदे मैं बैठ गया . धीरे धीरे  माहौल शांत हो गया .
मैं बाहर बैठा सामने बरसात होते देखता रहा , सामने दूर दूर तक सड़क सूनसान थी . बरसाती मेढको की टर्र टर्र गूँज रही थी . सभी पीले पीले मेंढक एक पंक्ति मे बैठे कोरस गान कर रहे थे . एक बड़ा मेंढक मेरे सामने गुलाब के पौधे के पास बैठा अपने सजातियों के स्वर में स्वर मिला रहा था .
बारिश लगभग बंद हो चुकी थी , गौरैया का झुंड नीम के पेड़ पर बैठा चहचहा रहा था . पत्नी अंदर से दाना लेकर आई और सामने बिखेर दिया . पहले एक फिर दो फिर पूरा झुंड नीचे उतर कर दाना चुगने लगा . चिड़ियों और मेढकों का सम्मिलित मधुर संगीत गूँज रहा था .
इसी बीच एक चिड़िया को एक मेढ़क ने पकड़ लिया , मेरी नजर पड़ी तो मैं यकीन नहीं कर पाया कि अपने आकार से बड़ी चिड़िया को कोई मेंढक कैसे निगल सकता है . जब तक मैं कुछ समझता , मेंढक का पेट फूलने लगा था और चिड़िया के दोनों पंजे उसके मुँह से बाहर दिखाई दे रहे थे .


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