आज मेरी कलम खो गई

आज मेरी कलम खो गई ! .....बड़ी तेज ' लिखास ' लगी थी ....रजिस्टर तो अपनी जगह था लेकिन कलम खो गई ....उंगलियां कसमसा रहीं थीं और कोई मेरे अंदर से बाहर आने को बेताब था ....डर लगता है कि अगर जल्दी से कलम न मिली तो .....
कई बार मेरे साथ ऐसा हुआ है कि कोई धमाकेदार शख़्शियत बाहर आना ही चाहती थी कि मेरा अवधान बदला और जब तो इंट्री मारती ....दरवाजा ही बंद हो गया . ....और फिर कोई और बंदा अपने भ्रूण में प्रविष्ठ हो जाता . इसी समस्या के समाधान के लिए एक पेन और छोटी डायरी हमेशा अपनी जेब में रखने लगा था ....हाँ !!याद आ गया जेब ....कोई बात नहीं टेबल टाप वाली गायब है तो क्या .....मेरे सीने पर सवार मेरी दूसरी वाली तो है . लेकिन वो तो यहाँ भी नहीं है ....अब ...अब क्या करूँ ?  बच्चे स्कूल गए थे .बीवी से बात करने में डर लगता है ....आज कल वो हमसे ख़फ़ा है . अरे ! वो क्या खफ़ा होगी ? खफ़ा तो मैं हूँ ....मैं खुद ही तलाश लूँगा ....कलम !!
मुझे याद आया की अभी हफ़्ते भर पहले मैं चार पैकेट ' यूज एंड थ्रो ' लाया था ....दो काले और दो नीले .
इस समय मुझे बड़े जोर की " लिखास " लगी थी ...इस समय मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि जो मिल रही है वो काली है या .......नीली .
पहले मैंने एकाग्रता पूर्वक अपनी किताबों से भरी आलमारी छानी और बड़बड़या ....' क्या फर्क पड़ता है ...नहीं मिली टेबल टॉप वाली या मेरे दिल के क़रीब वाली ....ये " यूज एंड थ्रो " तो है ...जब तक रहेगी बराबर और एक सा सुख देगी .'
लेकिन आज तो ये सस्ती वाली भी नहीं मिली और मैं उसे तलाशने ...बच्चों के कमरे में घुस गया . अख़बार पलट कर ....किताबें उलट कर ....हर स्थान पर उसे ढूँढा ....अफ़सोस वो कहीं न मिली .
बीवी से तो बोलूंगा नहीं और इस लिखास की तलब और उस सस्ती वाली के फेर में .....मैंने बीवी के क्षेत्र में अनाधिकार प्रवेश किया और ......वो गुस्से से लाल हो गई ....उसे अपने अंदर की " भड़ास " निकालने का सुनहरा मौका हाथ लगा . मैं सोचने लगा ...जितना सुख मुझे कलम मिलने पर होता शायद उसे भी " भड़ास"  निकाल कर ऐसा ही सुख मिलता होगा . मेरे अंदर हमदर्दी का भाव जगा और मैं चुपचाप एक ऐसे आदमी की तरह खड़ा रहा ....जो बहरा हो .
लेकिन कलम खोने की खुन्नस मेरा क्रोध भड़का रही थी ....क्या हुआ वो लड़ने का बहाना खोजती रहती है मुझे पता था अभी अपनी भड़ास निकालने के बाद वो मुझे वजह (?) बतायेगी .
लेकिन कुछ भी हो .....वो मेरी बीवी थी कोई " यूज एंड थ्रो " नहीं . वो मेरी नस नस से वाकिफ़ थी . अपने शरीर के जिन तिलों को मैं आज तक न देख पाया उसने उन्हें चूमा था . मुझे लगता है वो ये भी जानती होगी की मेरे सिर में कितने बाल हैं !
मैं चुपचाप खड़ा अनायास ही एक टूथब्रश को कलम की तरह पकडे घुमा रहा था ...बीवी गई और एक "यूज एंड थ्रो " लाकर मुझे पकड़ा दी ....हाय क्या बात थी ....मुझे अब जाकर वजह पता चली ....जब उसने बोला कि ....

ये लो कलम ....जाओ घुस जाओ अपने चंडूखाने में ....तुम्हे किसी से कोई मतलब तो है नहीं ...

" लिखास " से मजबूर मैं कमरे में आया ....हमारी टेबल टॉप तो मेज पर ही शान से लेटी थी .....सामने ही तो थी ....मैं क्यों न देख पाया .........
मैंने यूज एन्ड थ्रो को किनारे रखा ...प्यार से उसे उठाया और उसी से आपको अपनी " लिखास " भेज रहा हूँ .
लेकिन जिंदगी है ....कभी कभी जरूरत पड़ती है "यूज एंड थ्रो की . ऐसा कि बीवी खफ़ा होने पर भी लाकर दे दे .
आज मुझे समझ आया जब.....आज मेरी कलम खो गई .
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Comments

आपकी लिखास की तलब ने बहुत ही बेहतरीन रचना लिख डाली.. बेहद खूबसूरती से आपने यह रोचक स्तंभ लिखा.. बहुत अच्छा लगा कि आपने निमंत्रण दिया और इस तरह से मैं आपके ब्लॉग पर आ गए धन्यवाद
बहुत सुन्दर आलेख।
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सैटिंग में जाकर
फालोवर्स का विजेट भी लगाइए अपने ब्लॉग में।
लेकिन जिंदगी है ....कभी कभी जरूरत पड़ती है "यूज एंड थ्रो की . ऐसा कि बीवी खफ़ा होने पर भी लाकर दे दे .
समझ सकता हूँ, परंतु अपनी तो श्रीमती जी हैं ही नहीं, मैं स्वयं ही यूज एंड थ्रो हूँ, अग्रज।

सुंदर लेखन।
Happy arun said…
धन्यवाद अनु जी ..आपके मार्गदर्शन की हमेशा जरूरत रहेगी
Happy arun said…
अभी लगाता हूँ भइया ...सादर धन्यवाद
Happy arun said…
धन्यवाद व्याकुल भइया ! आपकी उमर का अंदाजा नहीं लगा पा रहा ! वर्ना तो कुछ समाधान निकलता ...अपने आप को " यूज एंड थ्रो " क्यों समझते हैं ?