उम्र का फर्क

एल्विन फर्नान्डो ...नागपुर शहर की मध्यम वर्गीय कॉलोनी में रहने वाला लड़का ...अपने पड़ोसी 'डिसूजा फैमिली ' की छोटी बेटी " मारिया " से आकर्षित था . उसकी हमउम्र ही तो थी वो ...इस प्रकरण में आग ...दोनों तरफ बराबर लगी थी लेकिन इस आग को और भड़काने का काम " मारिया " ही करती थी ....वह कोई मौका न चूकती इस आग में पेट्रोल डालने का .
पता नहीं ये प्रेम था या उम्र का आकर्षण लेकिन इस रिलेशनशिप में " एल्विन " गंभीर था ....और एक दिन लाइन क्रॉस हुई और दोनों नें वर्जित सुख का आनंद लिया ....फिर तो यह रोज ही होने लगा . धीरे धीरे लोगों को इस पक रही खिचड़ी की खुशबू आने लगी .
लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था ....
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एक दिन " मारिया " को ऐसा बुखार हुआ जो उतरा ही नहीं और इस जानलेवा बुखार से तीन महीने जूझने के बाद ...एक दिन वो मर गई ....

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क्रिश्चियन समुदाय के कब्रिस्तान में गड्ढा खोदा जा चुका था . लाश को कब्र में उतारने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी . पादरी अंतिम प्रार्थना कर रहे थे . कुछ देर बाद काफेन में लेटी " मारिया " जमीन के नीचे थी और लोगों नें काफेन पर एक एक मुट्ठी मिट्टी डालनी शुरू की . " एल्विन " नें भी भरी भरी आँखों से एक मुट्ठी मिट्टी डाली .....फिर वह वहाँ खड़ा न रह सका और वापस घर आ गया .
अभी कॉलोनी का कोई व्यक्ति अंतिम संस्कार से नहीं लौटा था ....वह अपनी खिड़की पर बैठा ...सामने मारिया के कमरे की बंद खिड़की देख रहा था ...जहाँ उसे एक परछाई डोलती दिखी ....वो एक लड़की की छाया थी ये तो साफ था लेकिन वो थी कौन ....ये पता नहीं !
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जीवन में पहली बार " एल्विन " को दुःख का वास्तविक अनुभव हो रहा था और उसे अहसास हुआ कि वो तो वास्तव में उससे प्रेम करता था ....सत्रह साल के एल्विन नें पहली बार प्रेम का अनुभव किया और वो भी विरह वियोग के बाद ...पहली बार वो 'बार' में जाकर बैठा और तब तक पीता रहा ...जब तक वो बेहोश नहीं हो गया . 
जब उसकी आँख खुली तो वो एक क्लीनिक में लेटा  था . पिता नें शिकायती और माँ नें हमदर्दी के भाव से देखा लेकिन किसी को ये समझ नहीं आया कि एल्विन आखिर ' बार ' में गया क्यों और गया तो इतनी पिया क्यों ?.... केवल एक को छोड़ कर और वो थी वही छाया ....जिसे उसने खिड़की पर डोलते देखा था .
क्लीनिक से लौट कर एल्विन ...अपने कमरे में लेटा मंथर गति से चलते ....सीलिंग फैन को एक टक देख रहा था . मिस्टर फर्नान्डो अपने काम पर और मिसेज फर्नान्डो अपनी ' बुटीक ' में जा चुके थे ......
एल्विन ...बाथरूम में देर तक पानी में ही बैठा रहा ...उस का दिमाग सुन्न हो रहा था .....फिर उसने किचेन और फ्रिज में जो खाने योग्य मिला खाया और बाहर पार्क में ...एक झूले पर आकर बैठा ...चर्र चूं चर्र चूं की आवाज गूँजने लगी ....तभी उसे अपने पीछे आहट महसूस हुई ....उसके पीछे एक लड़की खड़ी थी ...वो " मारिया " की बड़ी बहन , दोस्त और हमराज थी . उसने एल्विन को एक सुन्दर नोट बुक दी जिसके सारे पन्ने गुलाबी थे ....और बिना कुछ बोले वापस चली गई ....झूला रुक गया ...और उसने पहला पन्ना खोला ...एक सूखा गुलाब ...सैलो टेप से चिपका था
...यह वही ' पहला उपहार ' था जो उसने " मारिया " को दिया था .....वह नोट बुक नहीं एक लम्बा प्रेम पत्र था जो मारिया नें खुद को लिखा था . एक सत्रह साल की लड़की नें " प्रेम " को इतनी गहराई से जाना कि उसकी उपमाएँ खोजें तो प्रसिद्ध प्रेमकथा लेखकों की कहानियाँ भी फीकी पड़ जांय . उस नोट बुक में एल्विन के साथ हुई हर छोटी बड़ी मुलाकात का विशद वर्णन था . उसे पढ़ते पढ़ते एल्विन के सामने उसके साथ बिताये पल कल्पना में ही सजीव हो उठे और अंततः अंतिम पृष्ठ भी आ पहुँचा . ...उस अंतिम पृष्ठ को पढ़ते हुए एल्विन को लगा कि जैसे " मारिया " को अपने अंत का पूर्वाभास हो गया था ....वो अंतिम पन्ना ...एल्विन के लिए लिखा गया ....अंतिम प्रेमपत्र था . अंतिम पंक्ति थी ...

" एल्विन ! ये नोटबुक जब तुम्हारे हाँथ में होगी ...हो सकता है ....मैं इस दुनिया में न रहूँ .

सदा तुम्हारी

मारिया ...."

अब एल्विन को खिड़की पर डोलती छाया और मारिया की बहन में साम्यता दिखने लगी . एक लम्बी साँस भर कर एल्विन नें कॉपी बंद की और पीछे लिखी पंक्तियाँ उसे दिखीं .....

" एल्विन ये नोटबुक मरने के तीन घंटे पहले " मारिया " नें मुझे दी थी और कहा था ....मैं ये अमानत तुम तक पहुंचा दूँ . मेरा काम पूरा हुआ . " .......

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गोवा ...के एक खूबसूरत बीच पर लेटा एल्विन ...उड़ते हुए प्रवासी पक्षियों को देख रहा था . इस समय उसकी उम्र चालीस साल हो चुकी थी . वो गुलाबी पन्नों वाली नोटबुक अब पीली पड़ चुकी थी जो अब भी उसके पास सुरक्षित थी . तेईस साल बीत गए ....मारिया को दुनिया से गए . एल्विन नें स्कूल कॉलेज के दिन बिताये ....एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब की और इस समय वो एक इतालवी कम्पनी का इंडिया चीफ था ...जिसका इंडिया ऑफिस ...गोवा में था .
एल्विन नें विवाह के विषय में कभी सोचा नहीं ...शादी का प्रश्न उठते ही वो " मारिया " की सोच में गुम हो जाता था . जो भी लड़की उसकी जिंदगी में आयी ...उसने ...उसमे " मारिया " को खोजा लेकिन वो उसे न मिली .
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आज ही उसने ऐज ए चीफ ...कंपनी ज्वाइन की थी . इस समय वो एक होटेल में रुका था और होटल के सामने बीच पर लेटा आसमान देख रहा था . अब उसे रहने के लायक एक घर की तलाश थी ....वो अकेला आदमी था और चाहता था कि उसे एक ऐसा घर मिले जहां वो ' पेइंग गेस्ट ' की हैसियत से रह सके .
उसकी तलाश " वास्को " में पूरी हुई और उसे एक खूबसूरत बंगला एक खूबसूरत लोकेशन पर मिल गया .जिसमें एक " डिसूजा फैमिली " रहती थी .
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वो बंगले में पहुँचा ...उसका परिचय जान मिसेज डिसूजा खुश हुईं और बड़े शौक से उसे पूरा घर घुमाया और उसका शानदार कमरा दिखाया और एक एंग्लोइंडियन नौकरानी से यह कह कर परिचय करवाया कि वो घर के एक सदस्य की तरह है .
सब कुछ देख समझ कर एल्विन अपने ऑफिस पहुँचा .शाम को होटल से चेकआउट कर वह अपना सामान अपनी कार में लाद कर ...नये ठिकाने पर पहुँचा .
शाम के आठ बजे थे ...मिसेज डिसूजा ....स्मोकिंग करते हुए शराब का ग्लास थामे ...ड्राइंगरूम में बैठी थीं . उन पर नशे की खुमारी छायी थी ...उन्होंने विश किया और उसके कमरे की तरफ इशारा किया . वो चुपचाप अपने शानदार रूम में पहुँचा और कपड़े चेंज कर अपना सामान करीने से लगा कर ....बेड पर लेट गया . एल्विन अकेले रहने और आउटडोर जिंदगी जीने का आदी था ....काम ...काम और सिर्फ काम यही उसका जीवन था . दिनचर्या घडी की सुइयों पर चलती थी और अपना शेड्यूल उसने पहले ही बता दिया था .
कुछ देर बाद वो एंग्लोइंडियन नौकरानी उसे डिनर के लिए कहने आयी ...उसने अकेले ही डाइनिंग टेबल पर डिनर किया .
************************************सुबह के आठ बजे वो मॉर्निग वॉक से लौटा ....तैयार होकर ऑफिस पहुँचा और शाम सात बजे वापस घर पहुंचा ....कॉलबेल बजाई ....दरवाजा खुला और सामने ' सत्रह बरस की मारिया ' खड़ी थी . वो जहाँ खड़ा था वहीं जड़ हो गया और वो लड़की उसे पलकें झपकाती देखती रही .....अब एल्विन की मानसिक स्थिति का केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता था ...
उसकी तन्द्रा तब टूटी जब मिसेज डिसूजा हैवी मेकअप किये आकर खड़ी हुईं और बोलीं ...." एल्विन ..मीट विद माई डॉटर ' एंजिला ' ...नाउ आई ऍम गोइंग टू ए पार्टी ...कम बैक एट लेट नाईट ...बाय .." और वो चली गईं .
पीछे मुड़ मुड़ कर देखता ....एल्विन अपने कमरे में पहुँचा . समय हुआ वो डाइनिंग टेबल पर पहुंचा . उसके सामने " एंजिला " बैठी थी ......डिनर कर वो अपने कमरे में पहुँचा .....उसके मन की शांत झील में एक पत्थर आ गिरा था ...उस रात उसे नींद नहीं आयी .सुबह की मॉर्निगवाक पर भी वो नहीं जा सका . एक बार फिर ....मारिया ...एंजिला के रूप में आ खड़ी हुई थी .

एंजिला सत्रह साल की लड़की थी और अपनी हमउम्र लड़कियों की ही तरह लगती थी ....ऐसा कुछ खास नहीं था उसमें ...केवल एक ही खासियत थी कि वो ...

मारिया की तरह दिखती थी .

अब उस बंगले में एल्विन सहित चार लोग थे . मिस्टर डिसूजा दो साल पहले ही स्वर्गवासी हो चुके थे और परिवार के लिए बहुत कुछ छोड़ गए थे . मिसेज डिसूजा का ज्यादातर समय सैर सपाटे और जीवनसाथी खोजने में ही बीतता था .
एंजिला की अपनी माँ से बिलकुल नहीं पटती थी . वह एडवांस स्टेज पैनिक डिप्रेशन की मरीज़ थी और उसकी दवा चल रही थी ....कभी कभी वह डिप्रेशन में इतनी उत्तेजित होती कि सब कुछ तोड़ने फोड़ने और चीखने चिल्लाने लगती थी ....इस कारण वह नियमित स्कूल भी नहीं जा पाती थी .
वीक एन्ड चल रहा था .....मिसेज डिसूजा अपने किसी पुरुष मित्र के साथ किसी शिप पर पार्टी मनाने गईं थीं .....और सुबह सुबह " एंजिला " को दौरा पड़ गया . घर में तूफान आ गया . नौकरानी भागती हुई एल्विन के कमरे में पहुँची और उसके पीछे भागता एल्विन ....एंजिला के कमरे में पहुचा .....
सारा सामान कमरे मे बिखरा पड़ा था और एंजिला अर्धनग्न अवस्था में चीख चिल्ला रही थी . एल्विन पर नजर पड़ते ही वो चुप हो गई और शांत होकर घुटनों में मुँह छिपा कर बैठ गई . एल्विन नें बेड की चादर खींच कर उसके ऊपर डाल दी और एक नजर कमरे में चारो तरफ डाल कर स्थिर कदमों से अपने कमरे में चला आया .
अगले दिन रविवार था और बहुत दिनों के बाद एल्विन चर्च गया ...उसके साथ एंजिला भी थी . दो घंटे वहाँ रुक कर वो घर आया और सारा दिन एंजिला की देखभाल करता रहा .रात दस बजे मिसेज डिसूजा अपनी पार्टी से वापस आयीं ...उन्हें अपनी बेटी से जैसे कोई मतलब ही नहीं था ....और धीरे धीरे एंजिला भावनात्मक रूप से एल्विन पर आश्रित होती गई .
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दो महीने बीत गए ....एंजिला को दौरा नहीं पड़ा अब तो वो हँसती मुस्कुराती और खिलखिलाती थी ....अब दवा की उसे जरूरत ही नहीं थी . मिसेज डिसूजा इस परिवर्तन पर खुश तो थीं लेकिन उनके स्वभाव और दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं आया और एक दिन वे फिर तीन चार दिनों के लिये अपने किसी पुरुष मित्र के साथ आउटिंग पर चली गईं .

और फिर एक बार इतिहास दोहराया गया ....एंजिला और एल्विन नें बार्डर क्रास कर दिया ....मिसेज डिसूजा को कोई मतलब था नहीं और ये बार्डर लगभग प्रतिदिन क्रास होने लगा .........

एल्विन को जब तक होश आता ....बहुत देर हो चुकी थी और उसे अपराधबोध सताने लगा . इस स्थिति से बाहर निकलने का उसे एक ही रास्ता दिखा ....दूरी बना कर रखो !.....और एल्विन नें इक्कीस दिन के ऑफिसियल टूर पर इटली जाने का फैसला किया और वो चुपचाप चला गया .....
इधर उसकी अनुपस्थिति का असर ...एक सप्ताह में ही दिखा और एंजिला को भयानक दौरा पड़ा . पहले सप्ताह में एक बार ....फिर दो बार और फिर प्रतिदिन उसे दौरा आने लगा . एंजिला के डॉक्टर नें ...मिसेज डिसूजा को उसे ' एसाइलम ' ले जाने की सलाह दी .
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एसाइलम की गाड़ी ....मिसेज डिसूजा के घर के बाहर खड़ी थी . कर्मचारी एक व्हीलचेयर पर एंजिला को बैठा कर गाड़ी की तरफ ले जा रहे थे ....एंजिला का सिर उसके सीने पर झुका था ......बाल बिखरे और चेहरा बेरौनक था . मिसेज डिसूजा उस समय भी नशे में थीं और रो रही थीं .....
तभी एल्विन ...पहुँचा और इस दृश्य को देख उसके होश उड़ गए . उसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी अनुपस्थिति का ऐसा प्रभाव होगा . वो भागता हुआ एंजिला के सामने पहुँचा और व्हील चेयर के सामने घुटनों पर बैठ गया . एंजिला नें सिर उठाया और एक पहचान का भाव उसकी आँखों में दिखा और वो एल्विन से लिपट कर जार जार रोने लगी .
एसाइलम की वैन के साथ आया ...एंजिला का डॉक्टर इस स्थिति को बड़े ध्यान से देख रहा था और फिर वो मिसेज डिसूजा से बोला .....हू इज ही ...मिसेज डिसूजा ?
डॉक्टर की आवाज सुन वे चौकीं ...उनका नशा हिरन हो गया और वे बोलीं ....ही इज माय गेस्ट .

" मिसेज डिसूजा ! आपकी बेटी का इलाज इस आदमी के पास है . उसे न किसी दवा की जरूरत है और न ही डॉक्टर की ." ......यह कह कर डॉक्टर गाड़ी में बैठा और चला गया .

एंजिला फिर ठीक हो गई . एक दिन पता चला कि मिसेज डिसूजा को कोई लाइफ पार्टनर मिल गया और अब वे अब शादी कर इंग्लैंड में बसना चाहती हैं ...
जिस दिन मिसेज डिसूजा अपना सरनेम बदल मिसेज कोई और बनने जाने वाली थीं ...उसके चौबीस घंटे पहले ...डाइनिंग टेबल पर अचानक ....एंजिला अपनी माँ से बोली ....माम् ! नाव आई एम एडल्ट .
व्हॉट डू यू मीन ?....मिसेज डिसूजा पलकें झपका कर बोलीं .
एंजिला स्थिर स्वर में बोली ....आई एम नॉट इंट्रेस्टेड टु सेटेल इन इंग्लैंड .
तब तुम यहाँ क्या करोगी ?...मिसेज डिसूजा हैरान हो कर बोलीं .
एल्विन उन माँ बेटी की बातें ध्यान से सुन रहा था . वह चौंका जब एंजिला बोली ....आई वांट टू बी मैरी .
मिसेज डिसूजा बोलीं ....टू हूम ?
और बम फटा और चारो तरफ सन्नाटा छा गया .

एंजिला निश्चयात्मक स्वर में बोली ....टु मिस्टर एल्विन .....!!

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शादी करके एंजिला की माँ इंग्लैंड चली गईं .

और इकतालीस साल की उमर में एल्विन नें अठारह साल की एंजिला से शादी की .
उनके दो बच्चे ...डेविड और डेजी हुए .
और सत्तर साल की उम्र में एक खुशहाल जिंदगी जी कर अपनी अड़तालीस साल की एंजिला को छोड़ मिस्टर एल्विन इस फानी दुनिया से रुख्सत हो गए .
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उनके जाने के बाद एंजिला दुखी तो थी लेकिन अपनी प्रेम भरी जिंदगी से बहुत ही खुश थी ....उसे अपनी और एल्विन की उम्र का अंतर कभी दिखा ही नहीं !!







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