क्या आप बता सकते हैं ?
वह कभी बहुत खुश रहता है , कभी बहुत दुखी .जब खुश रहता तो लगता उसके इतना खुश प्राणी संसार में कोई नहीं .और जब दुःखी होता तो लगता उसके इतना दुखी भी संसार में कोई नहीं है .
इन दोनों अतियों में जीने की वजह से वह कोई भी काम कभी लगन से कर ही नहीं पाया .और अपने माथे पर असफलता की मुहर लगा कर समाज और रिश्तेदारियों में घूम रहा है ...लोग पीठ पीछे मज़ाक उड़ाते हैं .
सफलता के करीब पहुंच जानें पर भी ...पता नहीं कौन बैठा हैं ...उसके अंदर जो उसे उठा लेता है .अचानक ये मानसिक परिवर्तन क्यों ?
*वही चीज जो अब तक बहुत अच्छी थी .अब बहुत बुरी है .
*वह मादक द्रव्य जो कल तक अच्छे लगते थे .अब बहुत बुरे हैं .
*कभी क्लासिकल अच्छा लगता है ,कभी मॉडर्न .
..............................
कुछ समय बाद इसका ठीक उल्टा होगा .परिवार वाले परेशान हैं .मित्र छोड़ जाते हैं .अर्थात किसी भी स्थिति में स्थायित्य नहीं है .व्यक्तित्व में लगातार होने वाले ये परिवर्तन कहीं किसी मानसिक रोग के लक्षण तो नहीं
स्वयं उसने भी बहुत कोशिश की है इन मानसिक जंजालों से बाहर निकलने की लेकिन ये परिवर्तन इतने ऑटोमेटिक होते हैं ...कि लगता है वह किसी और के वशीभूत है .
जानने वाले पूछते हैं .....मैं आप को समझ नहीं पाया .
बेचारा किसी को क्या बतायेगा ....जब वो स्वयं को नहीं समझ पाया .
अब तो समय भी नहीं बचा !!!! डर के मारे उसका बुरा हाल है ...सोच नहीं पा रहा क्या करे ?
# क्या आप बता सकते हैं ???
इन दोनों अतियों में जीने की वजह से वह कोई भी काम कभी लगन से कर ही नहीं पाया .और अपने माथे पर असफलता की मुहर लगा कर समाज और रिश्तेदारियों में घूम रहा है ...लोग पीठ पीछे मज़ाक उड़ाते हैं .
सफलता के करीब पहुंच जानें पर भी ...पता नहीं कौन बैठा हैं ...उसके अंदर जो उसे उठा लेता है .अचानक ये मानसिक परिवर्तन क्यों ?
*वही चीज जो अब तक बहुत अच्छी थी .अब बहुत बुरी है .
*वह मादक द्रव्य जो कल तक अच्छे लगते थे .अब बहुत बुरे हैं .
*कभी क्लासिकल अच्छा लगता है ,कभी मॉडर्न .
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कुछ समय बाद इसका ठीक उल्टा होगा .परिवार वाले परेशान हैं .मित्र छोड़ जाते हैं .अर्थात किसी भी स्थिति में स्थायित्य नहीं है .व्यक्तित्व में लगातार होने वाले ये परिवर्तन कहीं किसी मानसिक रोग के लक्षण तो नहीं
स्वयं उसने भी बहुत कोशिश की है इन मानसिक जंजालों से बाहर निकलने की लेकिन ये परिवर्तन इतने ऑटोमेटिक होते हैं ...कि लगता है वह किसी और के वशीभूत है .
जानने वाले पूछते हैं .....मैं आप को समझ नहीं पाया .
बेचारा किसी को क्या बतायेगा ....जब वो स्वयं को नहीं समझ पाया .
अब तो समय भी नहीं बचा !!!! डर के मारे उसका बुरा हाल है ...सोच नहीं पा रहा क्या करे ?
# क्या आप बता सकते हैं ???
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