कितने रूपए .....??? (भाग ..एक )

जिस दिन उदय भइया को इण्टर की परीक्षा में जिले में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ ....उसी दिन उनके मन नें सपने की ऐसी उड़ान भरी कि वे ,...परिवार की असमर्थता के बावजूद ....इलाहाबाद चले गए .
इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर चद्दर बिछाए ....अपना बैग सिरहाने रखे ....बायें घुटने पर दायां पैर रखे ...अंगूठा हिलाते ऊपर चलते पंखे को एकटक निहार रहे थे .
पंखा चलता रहा ....वे सोचते रहे ....सोचते रहे और सुबह हो गई . बैग से दातून निकाल ...मंजन करके और पेटभर ...घर से लाए मीठे पुए खा कर ....उदय जी सीधे विश्वविद्यालय पहुंचे .भगवान की कृपा से उन्हें दाखिला भी मिल गया और हॉस्टल में कमरा भी ..पता नहीं कैसे उदय भैया नें सब व्यवस्था की ....क्योंकि घर से तो वे कुछ ले नहीं गए थे .एक सप्ताह में ही जूनियर सीनियर सबका मन मोह लिया .
उनका व्यवहार ही ऐसा था कि जो भी उनसे मिलता ,
उनका हो जाता था .भगवान नें उन्हें यही वरदान दिया जिसके बल पर उदय भैया को कभी घर से कुछ भी माँगना नहीं पड़ा .पढाई निर्बाध चलने लगी .
तीन साल बाद .....जैसे ही उदय भैया डिग्री लेकर घर पहुंचे .उनके पिता श्री परमात्मा प्रसाद जी नें लगभग जबरन उनकी शादी कर दी .
इधर उदय भैया नें एम .ए .पास किया ,उधर उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई ....उदय भइया घर लौटे .....और फिर इलाहाबाद वापस नहीं जा सके .गृहस्थी के झंझटों नें उन्हें ऐसा उलझाया कि उनकी सारी बुद्धि और लोकव्यवहार फेल हो गया .पहले घर का बंटवारा हुआ ....फिर अपने हिस्से की खेती की जिम्मेदारी .उदय भैया नें एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू किया ....लेकिन चार हजार रूपए में क्या होता ?
समय के साथ दो बच्चे और हो गए और जैसे जैसे बच्चे बड़े होते गए ....उदय भैया ....अवसाद में डूबते गए ....अब तो वे किसी से बोलते भी नहीं थे ....अपने आप में ही खोये रहते थे .जैसा कि गृहस्थी के बहुत सारे झगड़ो की वजह ....पैसे की कमी होती है .भैया जी आए दिन की कलह से जूझने लगे .कोढ़ में खाज की तरह ....बँटवारे के बावजूद , उनकी भाभियाँ अक्सर दंगा फसाद स्तर का झगड़ा खड़ा किए रहतीं .
और एक दिन अति हो गई .उदय भैया रात में एक बजे रेलवे स्टेशन पहुंचे .....पूरे स्टेशन पर सन्नाटा पसरा था ......और फिर अचानक उदय भैया रेलवे पटरी पर पहुंचे और पटरी पर अपनी गर्दन रख दी .दूर से ट्रेन की व्हिसिल सुनाई दे रही थी और धड़धड़ाती ट्रेन उदय ....की ओर भागी आ रही थी .
क्रमशः जारी .....

Comments

Anil. K. Singh said…
कहानी अच्छी है लेकिन पूरा पढें बिना पूरा मजा आये गा नहीं। अगले अंक का इन्तजार कर रहा हूं।