एक शानदार विश्वास

आज सुबह सुबह मेरी बीवी नें मुझे जगाया और बोली ...जाओ !घूम कर आओ .मैं चुपचाप घूमने चला गया .रविशंकर और जाकिरहुसैन की जुगलबंदी सुनते हुए ....मुझे एक बहुत प्यारी कहानी याद आ गई .....जाने किस किताब में मैंने इस कहानी को पढ़ा था ?......इसे किसने लिखा ...? ये भी याद नहीं ...लेकिन इतना याद है कि लेखक के अनुसार ये एक सत्य और अद्भुत घटना है . अपने शब्दों में ये कहानी ....!! मैं आपको सुनाता हूँ . हाँ तो कथा यों है ....
अमेरिका के किसी शहर में एक दंपत्ति रहते थे .दोनों के बीच अद्भुत समन्वय ,प्रेम और विश्वास था और दोनों अलग अलग कंपनियों में नौकरी करते थे .जिंदगी मजे से कट रही थी कि अचानक पति की नौकरी छूट गई .उसने दूसरी जॉब खोजने की बहुत कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हुआ और वह बेरोजगार युवक घर बैठ गया .
बीवी नौकरी पर चली जाती और घर पर वह अकेला बोर होता .अंततः निराशा की चपेट में आकर वह बीमार रहने लगा .उसकी इस अवस्था को देख कर ...उसकी पढ़ी लिखी बीवी बोली ....
...." मेरे पास तो टाइम नहीं बचता लेकिन तुम रेगुलर ...खास कर संडे को 'चर्च ' जाया करो ." 
उसने आज्ञाकारी पति की तरह उसकी बात मान ली और चर्च जाने लगा .वहाँ एक दिन मुख्य पादरी के ....प्रार्थना के बाद उपदेश ...के क्रम में उसने बाइबिल के इस वचन को सुना .....
" यदि तेरे मन में राई के दाने के बराबर भी विश्वास है ...तो तू अगर पहाड़ से कहे कि ...हट जा ....तो वह हट जायेगा ".
उसने सोचा ....बात तो बहुत शानदार है और हमेशा याद रहनी चाहिए ....तो वह अपनी पत्नी के पास किचेन में गया और और बोला ....मुझे "राई का एक दाना " चाहिए .उसकी पत्नी नें अचार के मर्तबान से
"एक राई का दाना " निकाल कर दे दिया .अब उसने " वो दाना " अपनी जेब में डाला ....जब भी वह जेब में हाथ डालता तो " वह दाना"  उसे " विश्वास " की याद दिलाता .लेकिन वह " छोटा दाना " बार बार खो जाता तो " उसका विश्वास " भी बार बार खो जाता .उसने " अपने विश्वास की खातिर यह सुनिश्चित किया कि " वह दाना " हमेशा उसके पास रहे .
वह प्लास्टिक का सामान और खिलौने बनाने वाले कई निर्माताओं से मिला और उन सब से एक ही बात कही ....' मुझे प्लास्टिक का एक ऐसा खूबसूरत पेंडेंट बना कर दो ....जिसमे " ये राई का एक दाना " स्पष्ट दीखता हो .लेकिन अंदर हवा के बुलबुले न हों ...ताकि केवल यही " एक दाना " साफ दिखे .लेकिन किसी भी निर्माता के पास वह तकनीक ही नहीं थी ...
उसके " मॉडल " के हिसाब से " प्रोडक्ट " बना कर दे सकें .
सभी के हाँथ खड़ा कर देने पर कई पुस्तकालयों में गया और वहाँ उसने " प्लास्टिक टेक्नोलॉजी " की तमाम पुस्तकों का गंभीर अध्ययन किया .और उसे वह तरीका समझ में आ गया ....जिसके द्वारा वह
" राई का दाना " साफ साफ दीखता .
और एक दिन अमेरिका के एक बड़े अख़बार " सन " के पहले पेज पर पूरे पेज का एक विज्ञापन प्रकाशित हुआ ......" बाइबिल के वचन को याद रखें ..........."
 इस विज्ञापन के आगे का मजमून ....मुझे बिलकुल याद नहीं .लेकिन इस विज्ञापन के प्रकाशित होने के बाद ....उस युवक के बनाए पेन्डेन्ट इतने लोकप्रिय हुए कि वाह रातोरात " करोड़पति " हो गया .



वाह !!ये कहानी आज याद आई ....और मैंने इसे अपने तरीके से लिखा और आप तक पहुंचाया ...इसके लिए " ब्रह्माण्ड " को " धन्यवाद " .आपने इसे पढ़ा ....इसके लिए " आपको " ...." धन्यवाद "
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" अगर आपको यकीन है ....तो हर चीज़ संभव है " ..


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