आँखों देखा जादू .....ये ट्रिक तो हरगिज़ नहीं थी ....!!!

मेरे एक करीबी रिश्तेदार की बहन बहुत बीमार थीं .
एक महीने से ज्यादा हो गया था ....उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट हुए ...और अंततः डॉक्टर नें जवाब दे दिया कि परिजन इनकी सेवा करें , अब ये अधिक दिन नहीं जियेंगी . निराश परिजन पिछले साल भर से विभिन्न शहरों में ...बड़े बड़े डॉक्टरों को दिखा चुके थे .
उन्हें ब्रेन ट्यूमर था ...जो अंतिम स्टेज में पहुँच चूका था ...जो कभी भी फट सकता था और सर्जरी हो नहीं सकती थी .
हम पति पत्नी उन्हें देखने गए .अस्पताल पहुँच कर पता चला कि आज ही दो बजे वे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होंगी .....हम लोग उन्हें लेकर ' अपने रिश्तेदार ' के घर पहुंचे .
माहौल संगीन था ...सभी लोग दुःखी थे .इसी बीच जाने क्या प्लान बना कि हमारे सम्बन्धी नें हमें रोक लिया और दूसरे दिन सुबह एक गाड़ी से हम सभी लोग एक " बाबाजी " से मिलने चल दिए .
उत्तर प्रदेश के ....अम्बेडकरनगर जिले में एक गाँव है
" बेथुआ चेनौखा " .वहाँ मध्य आयु के एक सज्जन
जिन्हें लोग " कल्लू बाबा " के नाम से जानते हैं , रहते हैं . हम लोग लगभग 120 किलोमीटर का सफर तै कर ....दोपहर एक बजे पहुँचे .
बहुत सारे लोग वहाँ थे . एक साहब दिल्ली से , दूसरे लखनऊ सचिवालय से और दूर दूर से तमाम लोग आये थे .जब हमारी बारी आई तो हम पति पत्नी उनके सामने पहुंचे .उन्होंने हमें बैठने के लिए कहा और एक कागज के टुकड़े पर केवल पेन घुमाया ....
....मुझे नहीं लगता कि उन्होंने कुछ लिखा होगा .
मैं चकित रह गया जब मैंने देखा कि उस कागज पर मेरा नाम , मेरी पत्नी का नाम ,मेरी जेब में कितने पैसे हैं और मेरा प्रश्न ?....सब लिखा था और सत्य लिखा था !!!
ये सब कैसे हुआ ? उन्होंने ऐसा कैसे किया ? कुछ नहीं पता !!! 

Comments

Anil. K. Singh said…
अगर आप कल्लू मिश्र की बात कर रहे हैं? तो वह एक नम्बर का ठग है। लगता है जैसे आपको अपना नाम ही पता न हो। उसने नाम बता दिया और आप आश्चर्य में पड़ गये। उनके पास आपकी समस्या का कोई निदान नहीं है। जैसे आप अपना मरीज निराश होकर वापस ले आये। ठीक उसी तरह उनके पास जाने बिना किसी निदान के वापस चले आते हैं। आप अपना आगे का काम देखें ।
Anil. K. Singh said…
अगर आप कल्लू मिश्र की बात कर रहे हैं? तो वह एक नम्बर का ठग है। लगता है जैसे आपको अपना नाम ही पता न हो। उसने नाम बता दिया और आप आश्चर्य में पड़ गये। उनके पास आपकी समस्या का कोई निदान नहीं है। जैसे आप अपना मरीज निराश होकर वापस ले आये। ठीक उसी तरह उनके पास जाने बिना किसी निदान के वापस चले आते हैं। आप अपना आगे का काम देखें ।