जीने की वजह (भाग - 1 )

(इस कहानी के सभी पात्र एवं घटनायें  कल्पनिक हैं ) डॉक्टर साहब ...अपना क्लीनिक बंद कर ,बाहर सड़क पर खड़े होकर सिगरेट पी रहे थे .तभी एक आदमी रोते हुए आया और उनके पैरों पर गिर पड़ा .
और बोला .....साहब !पत्नी को बच्चा होने वाला है ,
सुबह से तड़प रही है ...कुछ कीजिए .
डॉक्टर साहब बोले .....अभी तक कहाँ थे ? क्लीनिक 
बंद हो चुका है .अस्पताल जाओ .
साहब मैं गरीब आदमी .......
अरे !ये मामला औरत का है .मैं लेडीज़ डॉक्टर नहीं हूं 
पता नहीं क्या करना होगा ?...जाओ !!...समय बर्बाद मत करो .वह आदमी जैसे रोता आया था ,वैसे ही चला गया .
डॉक्टर साहब सड़क के किनारे  बनी पत्थर की बेंच पर बैठ गए .एक और सिगरेट जलाई और पीते हुए सूनी आँखों से आसमान निहारने लगे .बड़ी देर तक उसी मुद्रा में बैठे रहे .....फिर उठ कर चल दिए .
घर पहुँचे तो पूरा घर सूना पड़ा था .क्योकि ...उनके  परिवार में उनके अलावा कोई था ही नहीं !!!
तीन साल पहले उनकी पत्नी उनके तीन साल के बेटे के साथ घर से कहीं चली गई .पीछे एक चिट्ठी छोड़ गई ...जिसमें उसने तमाम अनर्गल आरोप लगाते हुए 
घर छोड़ने की जो वजह लिखी वो ऐसी थी मानों वह घर से भागने का बहाना ढूंढ रही हो .
डॉक्टर साहब नें न तो किसी से बात की और न ही उसे ढूढ़ने का कोई प्रयास ही किया .एक सप्ताह तक घर मैं बंद रहने के बाद वे सीधा अस्पताल गए और इस्तीफ़ा दे आए .
फिर उन्होंने शहर के अंतिम छोर पर अपना क्लीनिक खोला और उसी में रम गए .सुबह सात बजे से शाम आठ बजे तक वहीं बैठे रहते .दोपहर को लंच के नाम पर क्या खाते थे ...पता नहीं .सुबह शाम कुछ तो खाते ही होंगे .घर में तो चाय के अलावा कुछ बनाते नहीं थे 
हमेशा अपनी ही दुनिया में खोए रहते थे .......
.......तो डॉक्टर साहब सूने घर में अपने अस्तव्यस्त बेडरूम में अपने बेड पर अल्थी पलथी मारे बैठे थे .
थोड़ी देर बाद उठे और फ्रिज से शराब की बोतल निकाल कर और प्लेट में नमकीन रख कर वापस बेड पर आए .सिगरेट जलाई और दारू के साथ पीने लगे .नशा चढ़ा तो कभी रोने लगते कभी हॅसने लगते .डॉक्टर साहब अपनी पत्नी और बेटे को भूल नहीं पा रहे थे और ख़ुद को बर्बाद करने पर तुले हुए थे .
और एक दिन ......
क्रमशः जारी .....

Comments

Anil. K. Singh said…
अभी तक अच्छा है। आगे के रहस्य का इन्तजार है।
Anil. K. Singh said…
अभी तक अच्छा है। आगे के रहस्य का इन्तजार है।