दिल की बात उर्फ़ तलाश पैसा कमाने के जुगाड़ की


प्रिय मित्रों ...
सर्व प्रथम आपको ईश्वी संवत के नव वर्ष 2020 की हार्दिक शुभकामनायें .....यथोचित प्रणाम आशीर्वाद पहुंचे .
आज मैं आपसे ' दिल की बात ' कहना चाहता हूँ और मेरा प्रयास होगा कि अपने मन सहित ह्रदय का हर कोना खुदरा ....एक दर्शक की भांति मैं आपके साथ देखूं . मैंने अपनी पिछली रचनाओं में आपको अपनी सांकेतिक आत्मकथा टुकड़ो में सुनाई ....संभव हो तो उसे एक बार याद कर लें .
मित्रों ...साहित्यिक ह्रदय तो बालपन से ही था .किशोरावस्था में कुछ रचना की जो समाचार पत्रों में यदाकदा छप जाती थीं लेकिन आगे " जिंदगी नें मुझे इस तरह धोया कि रजाई के पुराने लिहाफ़ों की तरह जिंदगी की कुछ बहुमूल्य यादेँ ....भी घिसने और फटनें लगीं . अब तो लिहाफ़ क्या रजाई भी बदलने का मन करने लगा .
और एक दिन मैं " टाइम पास " की खातिर अपने " स्मार्ट फोन " से खेल रहा था . बच्चे स्कूल गए थे और बीवी अपने काम में बिजी थी . यूं ही स्मार्टफोन में घूमते घामते मैं " यू ट्यूब " में जा घुसा और कुछ पैसा कमाने का " जुगाड़ " ढूढ़ने लगा और उस दिन मैंने जाना कि " ब्लॉगर " या कहिए " डिजिटल साहित्यकार " होना क्या होता है !! और मै ऐसे दर्जनों लोगों से " डिजिटली " मिला .....जो इस विधा से अच्छा खासा कमा रहे थे . कुछ तो अपना जमा जमाया काम छोड़ कर 
" ब्लॉगर " बन गए थे .
अब ये सब दो तीन दिनों तक मेरे दिमाग़ में घूमता रहा फिर मैंने अपने सीमित साधनों के साथ ही लिखने का फैसला किया .
जिस तरह एक दस साल का लड़का फिर पचास की उम्र मैं साईकिल चलाए और इस वक़्फ़े में साईकिल का हैंडल भी न पकडे फिर भी वह साईकिल चलाना नहीं भूलता उसी तरह एक लम्बे अंतराल के बाद मैंने " साईकिल " चलाई तो पहले तो साईकिल लहराई .....फिर किसी तरह बैलेंस बना कर ....मैंने अपनी प्रथम रचना " मेरी कहानी " आपकी ख़िदमत में तारीख़ 21-7-2019 को पेश की ....आपने इस कहानी को इतना प्रेम और सम्मान दिया कि आज भी ये रचना " मोस्ट पॉपुलर " में नंबर दो पर है . जो मन में आता लिखता गया और उस समय मुझे धर्मयुग ,साप्ताहिक हिन्दुस्तान ,कादम्बिनी और सारिका की बहुत याद आई ....जो मर चुके थे .इनके "भूत " मौजूद थे लेकिन वे वह संतुष्टि नहीं दे पाते जो सशरीर रहते दे पाते .
फिर भी लिखता रहा और आज पाँच महीनों में अपनी कुल 122 रचनाओं के साथ आपके सामने हूँ . जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो खुशी से अपनी पीठ आप ही थपथपा लेता हूँ . एक बड़ा बुनियादी परिवर्तन जो इस बीच मेरे अंदर आया कि मैं भूल ही गया कि मैं इस रास्ते पर इसलिए चला था कि मैं चार पैसे कमाना चाहता था ! अब तो ......
मेरी जिंदगी को जैसे नया सवेरा मिल गया और नवविहान के हंस की तरह अपने मानसरोवर में उतर गया . इस बीच मेरे जीवन में एकाधिक चुनौतियाँ आईं लेकिन जैसे विकराल आंधी में सारा छानी छप्पर उड़ जाने पर भी आदमी कोई अवलम्बन पकड़ बचा रहता है उसी प्रकार मैं उन चुनौतियों से जो आज भी है ....अपने " ब्लॉग " को पकड़े खड़ा हूँ . मैंने पाया कि हर " रचनाकार
की अपनी ' स्टाइल ' होती है अपना अलग 'लोगो' होता है .रचना पढ़ते ही पता चल जाता है कि ये " अमुक " नें लिखी है .
मैंने लिखना शुरू किया तो कुछ भी सोच समझ कर नहीं लिखा ...जो अंदर से आया वही बाहर लिख दिया . यहाँ तक कि " शब्द विन्यास और शब्दावली " में भी कोई परिवर्तन नहीं किया . जो 
' कल्पना ' थी उसमें पहले ही ' काल्पनिक है ' लिख दिया और जो सच था उसमें भी ' यह सत्य है' लिखा .लगभग हर विधा को छुआ लेकिन फिर कहता हूँ ' सोच कर ' कुछ नहीं लिखा . मेरे प्रिय मित्र ' बस्तवी जी ' नें मेरा ध्यान इस ' डिस्क्लैमर' की ओर इंगित किया तो मैंने उनसे भी दूसरे शब्दों में यही कहा कि मैं ऐसा करना चाहता हूँ .
'अभिव्यक्ति की चाह ' मनुष्य की व्यक्तिगत इच्छाओं मेँ से एक है . और इस ' चाहना ' में लोग कुछ भी कर गुज़रते हैं . यह ' ब्लॉग ' भी मेरी अभिव्यक्ति की चाह को " तुष्ट " करता है .
एक और बड़ा परिवर्तन मेरे वाह्य व्यक्तित्व में आया कि ' एक तो करेला दूसरे नीम चढ़ा ' ..मतलब एक तो पहले से ही मैं कुछ असमाजिक था ...दूसरे जब लिखाई का नशा चढ़ा तो मैं और भी " आत्मकेंद्रित " हो गया . जब मैंने अपने जैसे कुछ और सजातीय जीवों के विषय में जाना तो मैंने पाया कि वे लैपटॉप , डेस्क टॉप , प्रिंटर ,कैमरा आदि का खूब प्रयोग करते हैं . और इसी की बदौलत वे अपनी प्रतिभा का प्रयोग कर  "महारथी " हैं . लेकिन मेरे पास तो अपने ' स्मार्टफोन ' के अतिरिक्त कुछ था ही नहीं और अभी भी नहीं है और मात्र इसी एक साधन के बल पर मैं " रणभूमि " में कूद पड़ा .
मैं अपने " बाल सखा " श्री अनिल सिंह ' बस्तवी' का ह्रदय से आभारी हूँ जिन्होंने मेरी ' प्रेमिका ' से मेरा प्रेम बना रहे ...इस कारण स्वयं भी ' प्रेम ' कर लिया और हमें कदम कदम पर बताते रहे कि इस प्रेम में क्या क्या चुनौतियाँ आ सकती हैं और उन चुनौतियों से कैसे निपटें !! उनके ही उत्साहवर्धन का सकारात्मक परिणाम है कि मैं ये पत्र लिख सकूँ .
इस " ब्लॉग " नें मुझे एक सुंदर प्रयोगशाला उपलब्ध की है जहाँ मैं नित नये प्रयोग करता हूँ ...
....उन्हें लिपिबद्ध करता हूँ . 
आपके स्नेह आशीर्वाद की सतत आवश्यकता बनी रहेगी .
शुभेच्छु 
हैप्पी अरुण 
1 जनवरी 2020 

Comments

Anil. K. Singh said…
नव वर्ष की शुभकामना के साथ मैं फिर उत्साहवर्धन कर रहा हूं। आप कुछ भी करें हमें तो साथ देना ही है। उत्साहवर्धन करना ही है। हम आप के साथ हैं। बस ! आप आगे बढ़ते रहें।