ऑपरेशन खेत की सिंचाई

तीन दिन पहले मैं अपना खेत सिंचवाने की गरज से गांव में मजदूर की तलाश में गया . वर्तमान परिस्थितियों में गांव से नौजवानों का पलायन बहुत तेजी से हो रहा है . जो लोग बाहर निकल नहीं पा रहे ,
उनके सामने कोई न कोई ऐसी मजबूरी है जो उन्हें बाहर निकलने नहीं दे रही . मजदूर की तलाश की इस कोशिश में .....मैं घूमते घामते अपने एक मित्र के घर पहुँचा . मैंने देखा मित्र महोदय ....खाट पर पड़े थे . एक दिन पहले वे कहीं बारात में गए थे . वहाँ जनवासे में चारपाई पर बैठ कर वे तम्बाकू बना रहे थे ....इसी बीच वे उँधने लगे और मुँह के बल फर्श पर गिर पड़े .
उनका दाहिना पैर फ्रैक्चर हो गया .
इस प्रकार दाहिने पैर में कच्चा प्लास्टर चढ़वा कर वे खाट पर पड़े थे . चाय पीते पीते मैंने उनकी ' राम कहानी सुनी और अपनी सुनाई . उनसे मेल मुलाकात कर मैं चिंतित मन से घर पहुँचा ....क्योंकि मुझे मजदूर नहीं मिला और जो मिला भी उसने अपनी निजी समस्या बता दी .
शाम को मेरे उन्ही मित्र का फोन आया और उन्होंने बताया कि परसों के लिए एक लड़का मिला है अब आप अपनी व्यवस्था करें . यह सुन कर मैं बहुत खुश हुआ और उसी दिन शाम को डीजल और सिंचाई के दस पाइप लाद कर स्कूटर से उनके घर पहुँचा . तै पाया गया कि मैं दूसरे दिन बड़ी सुबह उनके घर पहुँचू .सुबह लगभग सात बजे मैं घर से निकला और रास्ते में ही ट्रैक्टर ट्राली पर पाइप ,पानी भरा बीस लीटर का गैलन और फावड़ा डीजल पम्प सहित मित्र महोदय एक 18 वर्ष के लड़के के साथ ट्रैक्टर चलाते हुए ...खेत की तरफ जाते मिले . उनके एक अन्य मित्र भी सहयोग के लिए उनके साथ थे .
हम सबने बोरिंग पर इंजन सेट कर पानी चला दिया और मित्र को स्कूटर पर बैठा कर उनके घर छोड़ा .उनके इस तरह टूटा पैर लेकर ट्रैक्टर खुद ड्राइव करते हुए खेत पर जाने की बात जब मैंने कही और पूछा आप खुद क्यों गए ? उन्होंने कहा ....कोई ड्राइवर ही नहीं मिला !!

खैर ,दिन के तीन बजे तक तो सब कुछ ठीक ठाक था लेकिन तभी अचानक इंजन बंद हो गया . लगातार दसियों बार प्रयास करने पर भी जब इंजन स्टार्ट नहीं हुआ तो मैं अपने ही गांव के एक परिचित को पकड़ कर लाया जिन्हे इंजन की कुछ जानकारी थी . वे आए और सब देखभाल कर बोले ...पम्प ख़राब हो गया है और इसे बनवाना पड़ेगा . काम बंद हो गया और हाथी तो निकल गया मगर पूँछ फंस गई .मुश्किल से एक डेढ़ घंटे की सिंचाई रह गई . काम तो पूरा करना ही था सो इन्जन के अतरिक्त सारा सामान वापस लाना पड़ा और ख़राब हुए पम्प को खोल कर उसे एक कपड़े में लपेट कर .....स्कूटर की डिक्की में रख कर मैं घर वापस आ गया . इतनी देर में शाम हो गई और दूसरे दिन सुबह सुबह पम्प बनवाने मिस्त्री की दुकान पर पंहुचा . पम्प बनवा कर मैं फिर उस आदमी की तलाश में गया ....जिसने उसे खोला था और वह मुझे गन्ने के खेत में गन्ना छीलते मिला . खैर वो अपना काम छोड़ कर आया और इंजन स्टार्ट हो गया .
इसी बीच 18 साल का ' रवि ' नाम का वो लड़का जो कल सारा दिन खेत पर मेरे साथ था ....आ गया और फिर सारा सामान स्कूटर पर लाद कर मैं खेत पर पंहुचा . ' रवि ' 18 वर्ष का ....मध्यम कद का , गठीले शरीर का फुर्तीला लड़का था ....सारा दिन मोबाइल पर भोजपुरी ,पंजाबी और हरियाणवी गाने सुनता अपने काम में मस्त रहता रहता था .अभी तक उसकी मूंछ की रेखा तक नहीं आई थी लेकिन बात बात पर ये कहता रहता था कि अब अगर अमुक काम न हुआ तो अपनी मूछें मुड़वा देगा .....सारा दिन गुटखा खाता रहता लेकिन उसके साथ रहने से मुझे कोई परेशानी नहीं हुई और इस तरह ऑपरेशन खेत की सिंचाई पूरा हुआ .

Comments

Anil. K. Singh said…
निजी अनुभव को आपने बहुत अच्छे से लिखा है। पढ़कर अच्छा लगा।