दिल का " मिस्टिक रोज "

मित्रों !....
बहुत दिन हुए मैंने कहीं पढ़ा था कि एक गरीब आदमी था . उसने एक शुरुआत की और " पाँच साल " में एक फैक्ट्री खड़ी की . फिर अगले " पाँच साल " में उस फैक्ट्री को "फैक्ट्रियों में नंबर एक " बनाया .
एक दिन अचानक उसने अपनी फैक्ट्री और अपनी समस्त चल अचल संपत्ति ....अपने कर्मचारियों को दान कर दी और ऐसा करने के पहले पूरे एक साल तक एक योग्य उत्तराधिकारी तलाश किया .
और सब कुछ उसके हवाले कर वे फिर " शून्य " हो गए .
कुछ समय अज्ञातवास में रहने के बाद वे फिर सक्रिय हुए और " शून्य " से आरम्भ कर ....पाँच साल में  एक फैक्ट्री खड़ी की .....अगले पांच सालों में उसे नंबर एक बनाया एक योग्य उत्तराधिकारी की खोज कर पुनः सब कुछ दान कर वे फिर से " शून्य " हो गए .और फिर अज्ञातवास में चले गए .
ऐसा उन्होंने " तीन बार " किया और तीसरी बार जब वे अज्ञातवास में गए तो आज तक नहीं लौटे !!!
यह कहानी आज याद आई तो " दिल का मिस्टिक रोज " खुल गया और जाने किस प्रेरणा से मैंने ये सब लिख दिया . एक नहीं ....तीन बार और पढ़ा .....!!!
अगर कहानी पढ़ कर " कोई फीलिंग " आ रही हो तो शेयर करें !!!

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