इन्जॉय द टी इन मेट्रो

( प्रस्तुत कहानी ....काल्पनिक है . किसी भी व्यक्ति का इस कहानी से कोई सम्बन्ध नहीं है )
वह अपनी ड्यूटी खत्म कर ....हॉस्पिटल से रात साढ़े दस बजे अपने घर जा रही थी . मेट्रो से उतर कर वह ऑटो के लिए बाहर आई . काफी देर तक खड़े रहने पर भी उसे ऑटो नहीं मिला तब उसे पता चला कि आज ऑटो ड्राइवर्स की हड़ताल है रात बारह बजे तक खड़े खड़े उसकी टाँगें दर्द करने लगीं थीं . झुंझुलाहट में पैर पटकते वो वापस स्टेशन के अंदर चली गई .
" कॉफी शॉप " की बगल की स्टील बेंच पर बैठी वह कॉफी पी रही थी . तभी एक नौजवान अपना जाड़ा भागने के लिए दोनों हाथों को आपस में रगड़ते हुए आया और उसकी बगल में बैठ गया . दोनों हाँथो को जांघो के बीच दबाए वो कुछ देर बैठा रहा . फिर उसने चारो तरफ देखा . उस लड़की को कॉफी पीता देख वो दो कप कॉफी लेकर आया . एक कप से कॉफी पीने लगा और दूसरा बगल की खाली सीट पर रख दिया .
तभी एक तीसरा आदमी आया और कप उठा कर बैठ गया . कितनी देर तक कप लिए रहता ....पड़ोस में दो लोगों को कॉफी पीता देख वह भी पीने लगा . नौजवान नें उसे हैरानी से देखा और कुछ नहीं बोला .
तभी दो " हिप्पी " जैसे दिखने वाले युवक और युवती वहां पहुँच गए .कॉफी शॉप के पिलर से सट कर वे दोनों एक ही कप से कॉफी पीने लगे .
वो लड़की जो हॉस्पिटल से घर जा रही थी और ऑटो न मिलने से नहीं जा पाई ....अब बेचैन होकर कभी खड़ी जो जाती ....कभी बैठ जाती और कभी चहलकदमी करने लगती . उसे अपने छोटे भाई की चिंता हो रही थी जो केवल दस साल का था और वही उसकी गार्जियन ,माँ ,बाप सब कुछ थी . तभी उसका मोबाइल बजा और उसने उसे कान से लगाया ....अपनी सारी रामकहानी सुनाई और उधर से आती आवाज को ध्यान से सुनती रही .
वह बात करने में इतनी मगन हो गई कि उसे पता ही नहीं चला कि कोई और आकर उसकी खाली सीट पर बैठ गया . दो कप कॉफी लाने वाले नौजवान नें ऐतराज किया और बात बढ़ते बढ़ते हाथापाई पर उतर आई और नौजवान ने खड़े होकर उस नवागन्तुक का कॉलर पकड़ कर उठा लिया और मारपीट शुरू हो गई .
इन सब से बेखबर वो लड़की कान से फोन लगाये ....बात करती हुई " प्लेटफार्म " की ओर चल दी .
उसे जाता हुआ देख वह नौजवान उसके पीछे भागते हुए आया और उसके आगे खड़ा होकर बोला ....' अजीब हैं आप ,मैंने आपके लिए जंग छेड़ दी और आप भागी जा रही हैं !' 
लड़की नें हैरानी से उस नौजवान का मुँह देखा . उसे कुछ समझ में नहीं आया और वह उसे क्रास कर आगे बढ़ी . मार खाया आदमी पीछे से चिल्लाता हुआ भागा आ रहा था . तभी मेट्रो आ गई और वह नौजवान फुर्ती से ट्रेन में घुस गया .
ट्रेन लगभग खाली थी ....मोबाइल अभी तक उसके कान से चिपका था . वह एक जगह बैठ कर बातों में बिजी हो गई . आखिर कितनी देर तक फोन से चिपकी रहती ...आखिरकार फोन बंद कर के ,वह आँखे बंद कर मुस्कुराने लगी .उसके दस साल के भाई नें फोन पर सलाह दी थी कि इस समय घर आने की जरुरत नहीं . उसने पेट भर कर " मैगी " खाई है और फ्रिज में रखा दूध गरम करके पी लिया है . कल सन्डे है और उसे चिंतित होने की जरूरत नहीं है . वो सोने जा रहा है और फिर उसने हिदायत दी ....
पहली बात ...सारी रात इस मेट्रो से उस मेट्रो में घूमती रह . तीन बजे की आखिरी मेट्रो से "कश्मीरी गेट " पहुँच कर वहीं रहे और उजाला होने पर घर आये .
और दूसरी बात ....किसी भी अजनबी से बात न करे . वह यही सब बातें सोच सोच कर मुस्कुराती रही और बुदबुदाई .....कितना समझदार है मेरा भइया !
जी ...आपने कुछ कहा ?.....यह आवाज सुन कर उसने चौंक कर देखा ....वही कॉफी वाला नौजवान उसकी बगल में बैठा था .
वह बोली ....तुम ! फिर आ गए . देखो मेरे भाई नें मुझे हिदायत दी है कि मैं किसी अजनबी से बात न करूँ . तुम चुपचाप बैठो और मुझसे बात मत करो .
वो बोला ....लेकिन मैं अजनबी कैसे हो गया ? मैंने आपके लिए जंग छेड़ दी और .......
किसने कहा तुमसे लड़ने के लिए ? अब चुपचाप बैठो और मेरा दिमाग मत खाओ ....वह बोली .
वह बोला ....कमाल है ! भलाई का जमाना ही नहीं रहा .तभी तो लोग अकेली नौजवान लड़कियों की मदद नहीं करते .आए दिन हादसे होते रहते हैं और तभी तो मैं कहूँ कि आखिर इन नकचढ़ी लड़कियों की कोई मदद क्यों नहीं करता 
 चुप ! एकदम चुप्प !!....लड़की चिल्लाई .अब अगर एक भी शब्द बोला तो मैं " इमर्जेन्सी बटन " दबा दूँगी . लड़का एकदम चुप हो गया . वो बेचैनी से पहलू बदलता रहा और लड़की उसे देखती रही ........
गाड़ी किसी स्टेशन पर खड़ी हुई और एक अतिआधुनिक लड़की नें कम्पार्टमेंट में कदम रखा और चारो तरफ देखती हुई आगे बढ़ी . ट्रेन लगभग खाली ही थी और जो लोग थे भी वे अपने स्मार्टफोन में गुम थे .किसी को किसी से मतलब नहीं था .
लड़की चहलकदमी करती आई और उन दोनों के पास बैठ गई .
हाय ! आई एम " ऐनी " ....वो बोली 
दोनों नें उसे देखा और पहले लड़की बोली .......
हाय ! आई एम " निशा " .
वह लड़का हैरानी से उस लड़की को देखते हुए नई सहयात्री से बोला ....आई एम " प्रशांत " .और शिकायती नजरों से " निशा " देखने लगा .इस तरह उसे देखता देख " निशा " बोली ....
क्या है ? इस तरह क्या देख रहे हो ?
प्रशांत हँसते हुए बोला ...' आपके भाई नें आपको हिदायत दी है कि किसी अजनबी से बातें मत करना .
तो !!....निशा बोली .
तो क्या ! आप इन मैडम से माफ़ करना " ऐनी " से अभी अभी हाय हलो कर रहीं थीं .
अरे ! तुमको इससे क्या मतलब ? क्यों मेरे पीछे पड़े हो ?
कमाल है ! मैं पीछे पड़ा हूँ ? जाइये मैं आप से नहीं बोलता .
हाउ स्वीट ? ऐनी बोली ....कितने क्यूट हो तुम दोनों ? निशा ! क्या ये तुम्हारा " बॉय फ्रेंड " है ?
तुम्हें कितने प्यार से कह रहा है ...जाइये मैं आप से नहीं बोलता ....हाउ क्यूट !!!
निशा उसे हैरानी से देखती हुई बोली ....किसने कहा तुमसे कि ये मेरा " बॉय फ्रेंड " है ?...निशा बोली .
नहीं है ? सॉरी सॉरी ....सॉरी फार कन्फूजन .इसका मतलब ये तुम्हारा बॉय फ्रेंड नहीं है .....ऐनी जल्दी से बोली .
नहीं ....निशा बोली 
ओके ...इट मीन्स ही इज फ्री नाउ . ऐट नाउ ही इस माय बॉय फ्रेंड . ओके !...ऐनी मुस्कराते हुए बोली .
व्हाट ....!!!...निशा चौकी 
यस ...नाउ ही इज माई बॉय फ्रेंड . एनी ऑब्जेक्शन ?....और वो उठ कर ...प्रशांत के बगल में बैठ गई और गलबहियां डाल दीं .....फिर ऐनी चुलबुला कर बोली ....हेलो फ्रेंड्स लेट अस सेलिब्रेट ....वुड ममम  लाइक टु टेक ए कप ऑफ टी ? ......
प्रशांत बोला ...यहाँ कैसे ?
ऐनी ने अपने बैग से फ्लास्क निकाला और तीन पेपर कप और हल्दीराम का बीस वाला भुजिया निकाला . कप्स में चाय भरी .....सबको पकड़ाया और पहले खुद ही चाय का लम्बा घूँट भर कर एक मुट्ठी भुजिया मुँह में डाला .......और हॅसते हुए बोली ....नाउ इंजॉय द टी इन मेट्रो .




और फिर चाय का दौर चला . हँसते खिलखिलाते कब सुबह के तीन बज गए ....पता ही नहीं चला .
वे तीनो एक साथ " कश्मीरी गेट " उतरे और स्टेशन में ही टहलते " कॉफी शॉप " पर पहुंचे और कॉफी पीने लगे . एक दूसरे का नम्बर लिया ....उजाला फैलने लगा तो वे बाहर आए .
एक टैक्सी रुकवाकर " ऐनी " नें " प्रशांत " लम्बा चुम्बन लिया और शोखी से बोली ...सी यू माय बॉय फ्रेंड ...फोन करूंगी ....और चली गई .
निशा के गाल पर शर्म की लाली दौड़ गई . वो मुस्कुराते हुए एक ऑटो में बैठी और चली गई .
प्रशांत खड़े खड़े अपने गाल पर लगी लिपिस्टिक पोंछता हुआ बड़बड़ाया ....' कमाल है ....भलाई का ज़माना ही नहीं रहा .तभी तो लोग अकेली लड़की की मदद नहीं करते .....चली गई हाय हलो तक न बोला .
तभी सामने से एक आदमी लपकता हुआ आया और ....गुस्से से उसका कालर पकड़ कर बोला .......' साले ....तू नें ही मुझे रात में मारा था ...अब देख मैं क्या करता हूँ .
झटके के साथ अपना कालर छुड़ा कर ....प्रशांत उस ऑटो के पीछे भागा ...जिस पर निशा बैठी थी और इतनी जोर से चिल्लाया कि निशा नें चौक कर ऑटो रुकवाया ....वह झपट कर ऑटो में बैठा और बोला ....जल्दी चलो !!

Comments

Anil. K. Singh said…
कहानी अच्छी है। बहुत पसंद आयी।
Anil. K. Singh said…
कहानी अच्छी है। बहुत पसंद आयी।