वो कौन था ? पार्ट - 2

(इस कहानी के सभी पात्र एवं घटनाएँ पूरी तरह काल्पनिक हैं , किसी भी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है )
अभी तक आपने पढ़ा - 
एक दुर्घटना में घायल होने पर एक अजनबी , अनिकेत को अस्पताल पहुँचाता है और रात में होश आने पर उस अजनबी पर हमला कर देता है और फिर बेहोश हो जाता है .रात भर अस्पताल में रहने के बाद वह अजनबी गायब हो जाता है .सुबह सुधा के पहुँचने पर अनिकेत उस अजनबी के विषय में बताता है .....
........यह सब सुन कर सुधा आवाक रह जाती है और चाय का कप उसके हाथ से छूट जाता है .
अब आगे ..........
दोपहर के बारह बजने वाले थे सुधा अपने पति का हाँथ पकड़े उसके बगल में बैठी थी और दोनों एक दूसरे को देख तो रहे थे लेकिन मुँह से आवाज नहीं निकल रही थी .
इतने में सुधा बोली - लेकिन अनिकेत ! हो सकता है ये तुम्हारा वहम हो ' वो ' कोई और भी तो हो सकता है ? 
नहीं सुधा ! ऐसा नहीं हो सकता .मैंने ' उसे ' अच्छी तरह पहचाना था .मैंने ' उसे ' गालियाँ  दीं , ' उसका ' कॉलर पकड़ा ,लेकिन फिर मुझे याद नहीं कि ' वो ' कब तक यहाँ था ? हाँ ! याद आया वो चिट अभी भी मेरे पास है जिसमें वह कुछ बातें लिख कर गया था .और वह इधर उधर हाँथ मार कर वो चिट ढूँढनें  लगा .उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी .
छोड़ो न अब , होगी कहीं , शायद सुबह साफ सफाई  होते समय कूड़े में चली गई होगी .हो सकता है ' वो ' कोई और हो और तुम अचानक होश में आने के बाद उसे देख कर वायलेंट हो गए हो ,यह तुम्हारा भ्रम भी तो हो सकता है !सुधा ने कहा .
नहीं ये मेरा भ्रम तो हरगिज नहीं हो सकता - अनिकेत बोला . सुधा बेचैन होकर बोली - अच्छा अभी तुम रिलैक्स हो जाओ , तुम्हे काफी चोट लगी है .टेंशन मत लो वर्ना तबियत ख़राब हो जाएगी .
तभी डॉक्टर आ गए और उसका चेकअप करने के बाद बेड के सिरहाने लगे नोटपैड पर कुछ लिख़ते हुए बोले - आप को कोई अंदरूनी चोट नहीं आई है .कल हम आप को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर देंगे .रिपोर्ट्स नॉर्मल हैं .और हाँ आप को अभी तीन महीने तक कम्प्लीट बेडरेस्ट करना होगा .ये कह कर डॉक्टर चले गए .कुछ देर बाद नर्स आई और मुस्कुराते हुए अनिकेत को एक इंजेक्शन लगाया .गेट वेल सून सर !
अब आप सो जाइए - कह कर चली गई .
कुछ ही देर में अनिकेत की आँखे मुंदनें लगीं और वह सो गया .सुधा 'उसके 'बारे में सोचती रही , उसका सिर भारी होने लगा था .जिस विश्वास के साथ अनिकेत 'उसके ' बारे मे बता रहा है लगता नही कि   ' वो ' उसका वहम रहा होगा .वह कहानी का सिरा पकड़ने की कोशिश करने लगी . तभी उसकी छोटी बहिन मुग्धा पहुँच गई .सुधा मुग्धा से बातें करती रही और डॉक्टर नें क्या कहा इत्यादि बताने लगी .
फिर बोली - छोटी !मेरा सिर बहुत दर्द कर रहा है . दीदी !आप सुबह से यहीं हैं और टेंशन में ऐसा हो जाता है .अब मैं आ गई हूँ ,आप घर जाकर आराम कीजिए - मुग्धा बड़ी गंभीरता से बोली .लम्बी साँस खींचते हुए सुधा बोली - ओके जाती हूँ , शाम को आ जाऊंगी .अपने जीजा का ख्याल रखना .
घर पहुँच कर सबसे पहले वो बाथरूम में गई और बहुत देर तक नहाती रही .फिर कुछ फ्रेश लगने लगा तो आकर बेड पर लेट गई , लेकिन ' वो ' तो अभी भी उसके दिमाग मैं घुसा था .कुछ देर तक बेचैनी से करवटें बदलते रहने के बाद सुधा उठी और सामने की आलमारी से एक फोटो एल्बम निकाल लाई .एल्बम पलटते हुए उसके हाँथ काँप रहे थे .उसने एल्बम के सबसे आखिर में लगी एक तस्वीर के नीचे से एक पासपोर्ट साइज फ़ोटो निकाली और गौर से देखने लगी .उसकी आखों से आंसू बहने लगे .
शाम सात आठ बजे वह अस्पताल पहुँची .अनिकेत अपनी साली के साथ हंसी मज़ाक में तल्लीन था .
रात के दस बज रहे थे अनिकेत और सुधा डिनर कर बातें कर रहे थे . तभी नाईट शिफ्ट वाली नर्स आई और अनिकेत को इंजेक्शन लगा कर चली गई .
अभी आई , तुम आराम करो - कह कर सुधा नर्सिंग स्टेशन पहुँची .
हैलो मैडम ! अब तो सब ठीक है और कल सर को हॉस्पिटल से छुट्टी भी मिल जाएगी .लेकिन मैम अभी उनकी बहुत केयर करनी पड़ेगी - नर्स मुस्कुराते हुए बोली .
सुनो सिस्टर ! कल तुमने मुझे बताया था कि कोई साहब इनको लेकर अस्पताल आए थे , रात भर यहीं थे और सुबह चले गए - सुधा बोली .
यस मैम - नर्स बोली .
अपने हैंडबैग से वही पासपोर्ट साइज फोटो निकाल कर , नर्स के सामने रखते हुए सुधा बोली ..क्या यही थे जो इनको लेकर आए थे ?
बड़े गौर से फोटो देखते हुए नर्स बोली ..मैम फोटो काफी पुरानी है लेकिन लगता है कि यही थे .मैं ठीक से बता नहीं सकती .
कन्फर्म करो !.....सुधा तेज आवाज में बोली .
नर्स हैरानी से सुधा का मुँह देखने लगी और बोली ....
....कन्फर्म कैसे करूँ ? इतने लोग रोज यहाँ आते हैं किसकी किसकी सूरत याद रखूं .हाँ ...आप एक काम कीजिए .मैनेजर के ऑफिस जाइए वहां आगे तीन नंबर के सामने , वहां से आप को कल की सीसी टी वी फुटेज मिल जाएगी , आप खुद ही कन्फर्म कर लीजिए .
थैंक्स यू - बोलकर सुधा सीधे मैनेजर के ऑफिस पहुंची . एक नौजवान कंप्यूटर के सामने बिजी मिला .एक्सक्यूज मी -सुनकर उसने सिर उठाया .सुधा ने उससे कहा ...............
और कुछ देर बाद उसी कंप्यूटर पर सुधा की आंखे गड़ी थीं .अचानक कुछ देख कर उसने कहा ...इसे ज़ूम करो .और गौर से उस फुटेज को देखते देखते वह घबड़ा कर लड़खड़ाई और कुर्सी पर गिर पड़ी .
अरे क्या हुआ मैडम - मैनेजर उसे सहारा देते हुए बोला . 
कुछ नहीं सुबह से कुछ खाया नहीं .एक ग्लास पानी प्लीज .
पानी पी कर सुधा लड़खड़ाते कदमों से बाहर आकर 
स्टील की बेंच पर बैठ गई .वह अपने आप से बोली 
........ऐसा कैसे हो सकता है " वो " तो दस साल पहले ही मर गया था .
क्रमशः जारी .....
(मित्रों , आगे क्या हुआ ? ' वो ' कौन था ?कहानी के 
 अगले भाग में ही हो सकता है पता चल जाये .अभी तो मुझे भी नहीं पता . कोशिश जारी है .पता चलते ही तुरंत बताऊंगा .)





Comments

Anil. K. Singh said…
पूरा-पूरा उप न्यास पढ़ने का मजा आ रहा है