मेरे ब्लॉगर होने की कहानी

मित्रों , रात के साढ़े दस बज रहे हैं . मैं आज आप को ये बताने की ईमानदार कोशिश करूँगा कि मैं ये ब्लॉग लिख क्यों रहा हूँ ? या ब्लॉगर बनना क्यों चाहता हूँ ?
मित्रों , मैं शुरू से ही साहित्यिक गतिविधियों में गहराई से रूचि रखता था . लेकिन कतिपय समाचार पत्रों के अलावा मेरी रचनाएँ कही भी प्रकाशित नहीं हुई . फिर धीरे धीरे संसार के मायाजाल में मैं उलझता चला गया . पुरानी रचनाएँ विलुप्त होती गई और मैं भूल गया कि कभी मैंने कोई साहित्य स्रजन किया भी था .
अभी कुछ महीने पहले मेरे हाथ में एक स्मार्ट फ़ोन आया . मैं इसे ठीक से चलाना भी नहीं जानता था और अभी भी बहुत कुछ नहीं जानता .
एक दिन इसी फ़ोन से ब्लॉगिंग के बारे में जाना और शुरुआत कर दी . मुझे हिन्दी या अंग्रेजी कोई भी टाइपिंग नहीं आती . मैं धीरे धीरे अँग्रेजी की बोर्ड पर एक एक शब्द टाइप करता हूँ .ऊपर हिंदी सजेशन आते रहते हैं और मैं उन्हे छू कर सही शब्द का चयन करता जाता हूँ . एक पैराग्राफ हांथ से लिखने में जितना समय लगता है उससे कहीं ज्यादा समय टाइप करने में लगता है . अब देखिए मैंने दस बजे लिखना शुरू किया ,बीच में बारिश आई पता नहीं उसके या किसी और कारण से तीन बार नेट फेल हुआ और हिंदी सुझाव ग़ायब हो गए . इस समय साढ़े ग्यारह बज गए हैं और मैं अभी तक कितना लिख पाया ,.आप देख ही रहे हैं .
मुझे तो इसी बात की खुशी है कि मात्र सोलह दिन में 295 बार मेरा ब्लॉग देखा गया और मेरी पहली कहानी 68 बार पढ़ी गई . किन मित्रों ने पढा , वे कहाँ हैं , मुझे नहीं पता .
धन्यवाद के साथ इतना जरूर कहूँगा कि अपने सुझाव और साहित्य की किन विधाओं को ब्लॉग में आप देखना चाहते हैं . उन्हें जरूर कमेंट बॉक्स में इंगित कीजिएगा .
अभी तो " खुश रहो " सीरीज़ में मेरे जीवन की सत्य घटनाओं पर आधारित डायरी शैली में लिखी कहानियाँ आप पढ़ रहे हैं .

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