इस परिस्थिति में मैं कहाँ जाऊं ?

मित्रों , आज कई दिनों के बाद मॉर्निंग वॉक पर गया . बहुत अच्छा लगा . अभी खेतों में पानी नहीं भरा है लेकिन सूखा भी नहीं है . कई दिन से बारिश नहीं हुई .
यही हाल रहा तो एक दो दिन में पानी के लिए डीजल इंजनों की धड़धड़ाहट और बिजली चोरी कर चलने वाले मोटरों की सनसनाहट वातावरण में हरतरफ गूँजने लगेगी .किसान बेचारा क्या करे ?
हाँ तो घूमते घामते मैं पुलिया पर पहुँचा अब ठहरे हुए पानी की सड़ांध वातावरण में फैलने लगी है .गांव में पहुँच कर कान से हेडफोन निकाला तो पंडित हरिप्रसाद का बांसुरी वादन बंद हो गया और मेरे गांव वाले पड़ोसी की बीवी का झगड़ने का करकस स्वर सुनाई दिया . वजह थी पति शहर कमाने जा रहा था ,और उसकी पत्नी उसके साथ जाना चाहती थी . अभी पन्द्रह दिन पहले वह किसी दूर के शहर से आया था . पति समझा रहा था लेकिन पत्नी समझने को तैयार नहीं थी .
मैं थोड़ी देर अपने दरवाजे पर खड़ा खड़ा उनकी बातें सुनता रहा और मन ही मन उनकी कारुणिक व्यथा को महसूस करता रहा . फिर अपने खेतों की तरफ जाते हुए एक नये दृष्टिकोण से गाँव को देखता हुआ आगे बढ़ा .
गाँव से लगभग हर वर्ग का पलायन तेजी से बढ़ता जा रहा था . मैं रोज ही देखता हूँ ,आज कुछ दूसरी नजर से देखा - अब तो गांव में स्त्रियों , बच्चों और बूढों के अलावा कोई नौजवान विरला ही दिखता है . वही दिखता है जिसके पास बाहर न निकल पाने की कोई मजबूरी हो या जो स्वयं ही गांव छोड़ना न चाहता हो .
गाँव से श्रमिक और कामगारों के पलायन के कारण अब गांव में खेती के लिए मजदूर मिलने बंद हो गए .अभिजात्य वर्ग भी इस संकट के कारण और बढ़ती हुई मजदूरी के कारण खेती छोड़ कुछ दूसरा करने या गांव से पलायन करने के लिए बाध्य हो गया है .
खैर यही सब सोचते सोचते मैं घर पहुँच गया . देखा कि माता जी उल्टी कर रही थीं . कल से ही उनकी तबियत खराब थी . अंततः उन्हें ड्रिप चढ़ानी पड़ी . बेटी का चश्मा टूट गया उसे नया चश्मा चाहिए .बेटे को बुखार आ गया ,दवा खा कर सो गया . बीवी अपनी हर समस्या का कारण मुझे समझ बात बात पर व्यंग्यवाणों की बौछार कर रही है .
और मैं माता जी की मच्छरदानी लगाते हुए सोच रहा हूँ कि इस परिस्थिति में मैं पलायन कर कहाँ जाऊं ?

Comments

KULDEEP YADAV said…
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KULDEEP YADAV said…
एक दिन आपकी ज़िन्दगी आपकी आँखों के सामने आ जाएगी, सुनिश्चित करें कि यह देखने लायक है।
KULDEEP YADAV said…
Right Sir
I like your story