अंदर की आवाज : हमारी कोई सुनता क्यों नहीं ?

मित्रों , एक दिन मैं टी स्टॉल पर अपने कुछ मित्रों के साथ बैठा गपशप कर रहा था . इसी बीच एक साहब हमारी मंडली में शामिल हुए और बात ' बाबाओं ' पर चलने लगी .उस दौरान कुछ ' बाबाओं ' पर संगीन धाराओं में कोर्ट केस चल रहे थे .बात ही बात में वे साहब एक विशेष गुरू को आपत्तिजनक गालियां देने लगे . मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने कहा कि आखिर आप उन्हें इतनी गालियां क्यों दे रहे हैं ? जवाब में वे और ज्यादा गालियां बकने लगे .मैंने कहा एक बात बताइए - हम इतने प्यार से अपनी पत्नी , बच्चों और परिजनों के लिए ' कपड़े ' खरीद कर लाते हैं .  ऐसा अक्सर होता है कि उन्हें कपड़े पसंद नहीं आते और हमें उन कपड़ो को वापस कर उनकी पसंद के कपड़े लाने पड़ते हैं . पत्नी के साथ तो अक्सर ऐसा होता है.
इतने प्यार से लाए गए कपड़ो को भी परिजन प्रसन्नता से नहीं अपनाते और जिन्हें आप गालियाँ दे रहे हैं , उनके कहने पर हजारों लोगों नें अपने प्रिय वस्त्रों को त्याग कर ' बोरा यानी टाट ' पहन लिया . उनमें कुछ तो विशेष है ही जो हम में नहीं है .वे किसी न किसी मामले में हमसे श्रेष्ठ अवश्य हैं . हम किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर उनका विरोध तो कर सकते हैं लेकिन हमें उनको गाली तो हरगिज नहीं देना चाहिए .
मित्रों , प्रश्न उठता है ...... किसी के एक बार कहने पर ही व्यक्ति उसकी हर बात मान जाता है . यहाँ तक कि आपनी जान देने के लिए भी तैयार हो जाता है .और हमारे बार बार आग्रह करने के बाद भी हमारा बच्चा अपने नाखून कटवाने के लिए भी राजी नहीं होता .इतने आग्रह और प्रेम के बावजूद हमारे बीवी ,बच्चे और परिजन हमारी बात तक नहीं सुनते , मानना तो दूर की बात है .क्यों ?
मित्रों , आप ने ध्यान दिया होगा जब भी हम कोई काम करते हैं हमारे अंदर से एक आवाज आती है जो लगातार हमें बताती रहती है , ये ठीक है या ये ठीक नहीं है . इस आवाज को ज्ञानीजन आत्मा की आवाज या विवेक कहते हैं . क्या हम अपने ही अंदर की आवाज को सुन पाते हैं , क्या हम अपने विवेक का आदर करते हैं ?और बड़ा प्रश्न है - क्या कभी अपने अंदर की बात हम मानते भी हैं ?
जब हम स्वयं अपनी ही बात नहीं मानते ,उसका सम्मान नहीं करते तो कोई दूसरा हमारी बात क्यों मानेगा ?हमारा आदर क्यों करेगा ?
जो लोग अपने अंदर की आवाज का सम्मान करते है उसकी बात मानते हैं उनकी बात दूसरे लोग भी मानते हैं .


Comments

Anil. K. Singh said…
I feel just you are saying my word. Very well.
Anil. K. Singh said…
I feel just you are saying my word. Very well.