लेकिन वे तो भीख ही माँगेगे


 मित्रों , भारतीय इतिहास में महाराणा प्रताप को एक महान वीर राजा  और अकबर को महान सम्राट माना जाता है .
लेकिन ये दोनों महान एक दूसरे के परम शत्रु थे .
अकबर ने केवल इसलिए मेवाड़ पर हमला किया क्योकि पूरे उत्तर भारत पर उनकी सत्ता थी तो ' मेवाड़ 'अछूता क्यों रहे ? और अपने इसी अहंकार की पूर्ति के लिए उसने मेवाड़ पर हमला किया .
महाराणा ने अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए इस आक्रमण का सामना किया और ये जानते हुए किया कि मुगलों की विशाल सेना का मुकाबला वे नहीं कर सकते .इस प्रयास में उन्हे घास की रोटी खानी पड़ी .और उनके पूरे कुनबे और वफादारों को परिवार सहित जंगलों में शरण लेनी पड़ी .
अंततः राणा मारे गए या थोड़ा महिमामंडन करें तो
' वीरगति ' को प्राप्त हुए और अकबर को मेवाड़ मिल गया .अब दो महानों के महान युद्ध में एक के महान अहंकार की पूर्ति हो गई और दूसरे को महान वीरगति
लेकिन उनको क्या मिला जो जंगलों में रह गए .जंगली जीवन ,अनपढ़ गंवार बच्चे जो यही भूल गए कि वे कौन हैं .
आज सैकड़ो साल बीत गए और अब तथाकथित स्वतंत्र भारत की सरकार उनको ' शेड्यूलड ट्राइब्ड ' कहती है . जो भैंसा ,भेंड़ ,बकरी ,मुर्गा ,मुर्गी ,प्लास्टिक की पन्नी ,बाँस बल्ली और लकड़ी बीनते बच्चों के साथ गांव घूमते ,यहाँ वहाँ घुमंतू जीवन बिताते हुए भीख माँग रहे हैं .
और वीर रस की कविताएँ कहती हैँ ..........
" तू ही है राणा का वंशज फेंक जहाँ तक भाला जाए .'' भाला कहीं पहुंचे या न पहुंचे उनके असली वंशज ,जंगलों के अतिक्रमण के कारण और अपना गौरव भूल जाने के कारण आज गाँव गाँव घूम कर भीख ही माँगेंगे .
क्या यहाँ यह नहीं सिद्ध होता कि बलवान के विरुद्ध संघर्ष करने वालों का इतिहास में भले महिमामंडन हो और उनके नाम की माला जपी जाने लगे लेकिन उनके पीछे छूट गए उनके लोगों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है .
इसका यह अर्थ नहीं कि राणा ने गलत किया या अकबर ने सही ,यहाँ तो प्रश्न उनका है जिनका इन बड़ी बड़ी संस्कारित बातों से कोई लेना देना नहीं 
और उन्हें उस तथाकथित अपराध की सजा आज भी मिल रही है जो उन्होंने किया ही नहीं .

Comments

Anil. K. Singh said…
आप देश की गौरव गाथा गा रहे हैं। बहुत अच्छा। आप को धन्यवाद