एक ब्लॉगर होने की खुशी
मित्रो , सुबह ४ बजे ही आँख खुल गई . मैं अलसाया पड़ा रहा तो शरीर में खुजली होने लगी और तब तक होती रही जब तक मैं उठ नहीं गया . नित्यक्रिया से निवृत हो कर मैं घूमने निकला . आज मन खिन्न सा था . मैं चाह कर भी वर्तमान से जुड़ नहीं पा रहा था .
मैं पुलिआ पर जा कर बैठ गया . मन नहीं लगा तो पत्नी को फोन किया उसकी अर्धनिद्रा में डूबी ' हलो ' सुन मुझे लगा मैंने गलती कर दी . फिर भी मैंने उसे अपनी मनोदशा बतानी शुरू कर दी . वो उठ कर बैठ गई और धीरज के साथ मेरा प्रलाप सुनती रही . फिर बोली ''भर्रा (अर्थात जल्दी )लौटो और लौटते समय बेलपत्र लेते आना " . मैं भर्रा ही लौटा . घर में बच्चों के स्कूल जाने की तैयारी चल रही थी . घर में कोलाहल मचा था . माता जी अभी सो रही थीं . मैं वही कुर्सी रख कर बैठ गया .
तभी मेरी बेटी पीठ पर भारी बस्ता लादे तेजी से आई और अपनी साईकिल निकालने लगी . मेरी नजर पड़ी तो देखा पिछले पहिये में हवा नहीं थी . मुझे तत्काल उसे लेकर स्कूल बस स्टॉप पर जाना पड़ा . बेटी को स्कूल बस में बैठा कर आराम से रास्ते में चाय वाय खाता पीता घर लौटा .
घर लौटा तो पत्नी किचन में लपसी ( एक प्रकार का देहाती मीठा व्यंजन ) बना रही थी . उसने कहा कण्डा ले आओ . कंडे के अभाव में मैंने तवे पर आम की लकड़ी से बहुत छोटा सा हवन स्थान बना दिया . पत्नी खुश हो गई और मैं नहाने चला गया . नहा कर लौटा तो घर में एक मनमोहक आध्यात्मिक सुगंध फैली थी .
शाम हुई तो बाजार गया और सब्जी लेकर घर लौटा तो बीवी का दनदनाता आदेश आया . तुरंत जाओ और खिड़की की जाली लेकर आओ . मैँ कई दिनों से जाली की उसकी बात को नजरअंदाज करता आ रहा था . अब मुझे जाना पड़ा .
जाली का मूल्य चुकाने के बाद मेरी जेब खाली हो गई . मैं जाली लादे वापस लौटा तो रास्ते में मुझे तम्बाकू खाने की जोरदार तलब लगी . तभी मुझे अपने एक परिचित की मल्टीपरपज दुकान दिखी . मैंने वहाँ से एक पैकेट तम्बाकू लेकर वही खड़े होकर उसे बनाना शुरू किया . मैंने देखा कि मेरे परिचित मित्र का छोटा बेटा अपने लैपटॉप से जूझ रहा था . लैपटॉप बड़े भाई का था . वो एक वेव पेज खोलना चाहता था लेकिन खोल नहीं पा रहा था . मैंने ध्यान दिया वो सही शब्द टाइप नहीं कर पा रहा था और अपने आप पर झुँझला रहा था . मैंने पुछा तो बड़े स्पष्ट शब्दों में बोला ' गुरूजी मैं हिंदी माध्यम का स्टूडेंट . इस लैपटॉप में कुछ भी हिंदी में नहीं है . '
मैंने लैपटॉप घुमाया और उसका वेव पेज खोल कर उसकी और घुमा दिया . वह फिर व्यस्त हो गया और मैं उसके पिता से बातें करने लगा . तम्बाकू बन चुकी और मैं चलने को उठा . तभी लड़का बोला गुरु जी मेरे सामने टाइप करें .
मैंने उसके सामने टाइप किआ - www.ramkaho.blogspot .com
और मेरा ब्लॉग खुल गया . हिंदी में लिखा देख वह बहत खुश हुआ और पढ़ने में व्यस्त हो गया . अपनी कहानियों का प्रभाव देखने की इच्छा से मैं खड़ा रहा .कुछ देर के बाद वह बोला - ये लिखा किसने ?
अंत में ये जान कर कि इनका लेखक मैं ही हूँ . आश्चर्य से मुझे देखते हुए आदर से बोला - अब कब आएंगे ?
उसके तमाम प्रश्नो का मुझे समुचित जवाब देना पड़ा . उसकी और उसके पिता की आँखों में अपने प्रति आदर सम्मान का भाव देख पहली बार मुझे अपने ब्लॉगर होने की ख़ुशी महसूस हुई .
और मैं बिना तमाखू का पैसा दिए घर चला आया क्योकि मेरी जेब खाली थी .
मैं पुलिआ पर जा कर बैठ गया . मन नहीं लगा तो पत्नी को फोन किया उसकी अर्धनिद्रा में डूबी ' हलो ' सुन मुझे लगा मैंने गलती कर दी . फिर भी मैंने उसे अपनी मनोदशा बतानी शुरू कर दी . वो उठ कर बैठ गई और धीरज के साथ मेरा प्रलाप सुनती रही . फिर बोली ''भर्रा (अर्थात जल्दी )लौटो और लौटते समय बेलपत्र लेते आना " . मैं भर्रा ही लौटा . घर में बच्चों के स्कूल जाने की तैयारी चल रही थी . घर में कोलाहल मचा था . माता जी अभी सो रही थीं . मैं वही कुर्सी रख कर बैठ गया .
तभी मेरी बेटी पीठ पर भारी बस्ता लादे तेजी से आई और अपनी साईकिल निकालने लगी . मेरी नजर पड़ी तो देखा पिछले पहिये में हवा नहीं थी . मुझे तत्काल उसे लेकर स्कूल बस स्टॉप पर जाना पड़ा . बेटी को स्कूल बस में बैठा कर आराम से रास्ते में चाय वाय खाता पीता घर लौटा .
घर लौटा तो पत्नी किचन में लपसी ( एक प्रकार का देहाती मीठा व्यंजन ) बना रही थी . उसने कहा कण्डा ले आओ . कंडे के अभाव में मैंने तवे पर आम की लकड़ी से बहुत छोटा सा हवन स्थान बना दिया . पत्नी खुश हो गई और मैं नहाने चला गया . नहा कर लौटा तो घर में एक मनमोहक आध्यात्मिक सुगंध फैली थी .
शाम हुई तो बाजार गया और सब्जी लेकर घर लौटा तो बीवी का दनदनाता आदेश आया . तुरंत जाओ और खिड़की की जाली लेकर आओ . मैँ कई दिनों से जाली की उसकी बात को नजरअंदाज करता आ रहा था . अब मुझे जाना पड़ा .
जाली का मूल्य चुकाने के बाद मेरी जेब खाली हो गई . मैं जाली लादे वापस लौटा तो रास्ते में मुझे तम्बाकू खाने की जोरदार तलब लगी . तभी मुझे अपने एक परिचित की मल्टीपरपज दुकान दिखी . मैंने वहाँ से एक पैकेट तम्बाकू लेकर वही खड़े होकर उसे बनाना शुरू किया . मैंने देखा कि मेरे परिचित मित्र का छोटा बेटा अपने लैपटॉप से जूझ रहा था . लैपटॉप बड़े भाई का था . वो एक वेव पेज खोलना चाहता था लेकिन खोल नहीं पा रहा था . मैंने ध्यान दिया वो सही शब्द टाइप नहीं कर पा रहा था और अपने आप पर झुँझला रहा था . मैंने पुछा तो बड़े स्पष्ट शब्दों में बोला ' गुरूजी मैं हिंदी माध्यम का स्टूडेंट . इस लैपटॉप में कुछ भी हिंदी में नहीं है . '
मैंने लैपटॉप घुमाया और उसका वेव पेज खोल कर उसकी और घुमा दिया . वह फिर व्यस्त हो गया और मैं उसके पिता से बातें करने लगा . तम्बाकू बन चुकी और मैं चलने को उठा . तभी लड़का बोला गुरु जी मेरे सामने टाइप करें .
मैंने उसके सामने टाइप किआ - www.ramkaho.blogspot .com
और मेरा ब्लॉग खुल गया . हिंदी में लिखा देख वह बहत खुश हुआ और पढ़ने में व्यस्त हो गया . अपनी कहानियों का प्रभाव देखने की इच्छा से मैं खड़ा रहा .कुछ देर के बाद वह बोला - ये लिखा किसने ?
अंत में ये जान कर कि इनका लेखक मैं ही हूँ . आश्चर्य से मुझे देखते हुए आदर से बोला - अब कब आएंगे ?
उसके तमाम प्रश्नो का मुझे समुचित जवाब देना पड़ा . उसकी और उसके पिता की आँखों में अपने प्रति आदर सम्मान का भाव देख पहली बार मुझे अपने ब्लॉगर होने की ख़ुशी महसूस हुई .
और मैं बिना तमाखू का पैसा दिए घर चला आया क्योकि मेरी जेब खाली थी .
Comments
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मैं भी एक ब्लॉगर हूं, और मार्शल आर्ट और अन्य खेलों पर ब्लॉग बनाता हूं, मगर मेरे ब्लॉग में ट्रैफिक नहीं आ रहा, कुछ help कीजिए।
धन्यवाद्।