बच्चा , बूढा और जवान

मित्रों , आज सुबह मेरा चार साल का बच्चा अपने से बड़ी साइकिल चलाने की कोशिश करते हुए बोला - मुझे साइकिल चलाना सीखना है . मैंने कहा - अभी आप छोटे हैं न ,थोड़ा बड़े हो जाओ फिर चलाना .बेटा मेरी गोद में चढ़ कर दोनों हाथ से मेरे गाल पकड़ कर बोला - "मैं कब बड़ा होऊंगा ?"
दोपहर के थोड़ा पहले मैं अपनी माँ के साथ आई स्पेशलिस्ट के पास रूटीन चेकअप के लिए गया . डॉक्टर ने जो दवा लिखी मॅहगी थी . फल लेने गया सेब 100 रूपये किलो . खैर जरूरत की वस्तुयें लेकर मैं वापस हुआ .रास्ते में मेरी माँ बोलीं " हमारे ज़माने में इतनी मॅहगाई नहीं थी . हमारे ज़माने में-.......वगैरा वगैरा" . कुल मिला कर गुजरे समय की बातें करती रहीं रास्ते भर .
शाम को एक मित्र के घर गया . चाय पीते पीते वे बोले - " आज बड़ी व्यस्तता थी सुबह से दौड़ रहा हूँ .आज ये ....आज वो. "
लब्बोलुबाब ये कि एक बच्चा हमेशा 'भविष्य' की बातें करता है . क्योंकि उसके पास ' भूतकाल ' होता नहीं और वर्तमान की फ़िक्र उसे है नहीं .
एक बूढा हमेशा ' भूतकाल ' की बातें करता है . क्योंकि उसके पास ' भविष्य ' होता नहीं . परन्तु एक जिम्मेदार प्रौढ़ हमेशा ' वर्तमान ' की बातें करता है.
मनोवैज्ञानिक विश्लेषक भी कहते हैं कि ' जो लोग हमेशा बीते कल की बात करें तो समझो वे " मन के बूढ़े " हैं . जो हमेशा भविष्य की बातें करें वे " मन के बच्चे " हैं .और जो हमेशा वर्तमान में रहे ,उसकी उम्र चाहे जो हो वही वास्तविक ' जवान ' है .
आध्यात्मिक धर्मगुरु भी कहते हैं ......" बोध और परम ज्ञान उसे ही प्राप्त होता है जो वर्तमान में रहता है . सारी साधनाओं का यही मूलतत्व है ."






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