महापुरुषों की व्यथाकथा
मित्रों , आज दुनिया के महापुरुष जो दुनिया से चले गए तो जहाँ भी वे होंगे वहाँ से दुनिया को देखते होंगे तो सोचते होंगे हमनें व्यर्थ ही इतना परिश्रम किया , दुनिया तो वैसी की वैसी रही बल्कि और बिगड़ गई .देश आजाद हो गए लेकिन लोग "किसी और गुलामी" में जकड़ गए .बड़े बड़े शहर बस गए . चौड़ी सड़के बन गईं . मनुष्य चाँद पर पहुँच गया . संसाधन बढे और तथाकथित विकास भी हो गया और प्रदूषण इतना बढ़ा कि वाटर और एयर प्यूरीफायर घर में लगाना यहाँ तक कि गाड़ियों में भी लगाना इतना आवश्यक हो गया कि 'स्टेटस सिम्बल ' बन गया . लोग दूसरों के घर पर पानी का ग्लास हाथ में पकड़ कर कहते हैं - क्या ये आरओ है , हम तो वही पीते हैं .
(मित्रों , अब तो आप " किसी और गुलामी " का मतलब समझ गए होंगे .)
बेचारे महापुरुष , सोचते होंगे - हमने जितने भी उपदेश दिए किसी का पालन न किया . शांति की बात की तो परमाणु बम बना लिए .न लालच गया न हिंसा घटी .बाहर के दूर अंदर के झगड़े बढ़ते गए .जीते जी तो कोई सुख मिला नहीं और मरने के बाद लोगों ने मूर्तियां बनाई , पूजा की , महापुरुषो के नाम पर संप्रदाय बन गए और फिर भी अहंकार न गया तो उपसम्प्रदाय बन गए . साल भर में एक बार जयंती मना ली , मंच सजा लिया और मेरे एकता अखंडता के सिद्धांत पर बोलने के लिए पहले मंच पर कौन जायेगा इस उहापोह में आपस में जूतमपैजार कर ली .एक दिन मूर्ति की साफसफाई कर दी , बाकी दिन कुत्ते पेशाब कर रहे हैं और सिर पर कौवे बीट कर रहे हैं .
जब जिन्दा थे तब भीषण विरोध किया यहाँ तक कि गोली मार दी , ज़हर पिला दिया ,हाँथ पैर में कीलें ठोक दी .
मरने के बाद अब मंदिर बना कर पूजा कर रहे हैं . लेकिन जिस उद्देश्य के लिये हँसते हँसते मर गए वह पूरा न हुआ .
इसी लिए तो लोग सोचते हैं कि गाँधी और सुभाष और अन्य महापुरुष फिर से पैदा हो जाएँ लेकिन मेरे नहीं किसी और के घर
(मित्रों , अब तो आप " किसी और गुलामी " का मतलब समझ गए होंगे .)
बेचारे महापुरुष , सोचते होंगे - हमने जितने भी उपदेश दिए किसी का पालन न किया . शांति की बात की तो परमाणु बम बना लिए .न लालच गया न हिंसा घटी .बाहर के दूर अंदर के झगड़े बढ़ते गए .जीते जी तो कोई सुख मिला नहीं और मरने के बाद लोगों ने मूर्तियां बनाई , पूजा की , महापुरुषो के नाम पर संप्रदाय बन गए और फिर भी अहंकार न गया तो उपसम्प्रदाय बन गए . साल भर में एक बार जयंती मना ली , मंच सजा लिया और मेरे एकता अखंडता के सिद्धांत पर बोलने के लिए पहले मंच पर कौन जायेगा इस उहापोह में आपस में जूतमपैजार कर ली .एक दिन मूर्ति की साफसफाई कर दी , बाकी दिन कुत्ते पेशाब कर रहे हैं और सिर पर कौवे बीट कर रहे हैं .
जब जिन्दा थे तब भीषण विरोध किया यहाँ तक कि गोली मार दी , ज़हर पिला दिया ,हाँथ पैर में कीलें ठोक दी .
मरने के बाद अब मंदिर बना कर पूजा कर रहे हैं . लेकिन जिस उद्देश्य के लिये हँसते हँसते मर गए वह पूरा न हुआ .
इसी लिए तो लोग सोचते हैं कि गाँधी और सुभाष और अन्य महापुरुष फिर से पैदा हो जाएँ लेकिन मेरे नहीं किसी और के घर
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Akash Singh