वो कौन था ? पार्ट -1

(इस कहानी के सभी पात्र एवं घटनाए पूरी तरह काल्पनिक हैं ,किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है )
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वह सुनसान सड़क के किनारे पत्थर की बेंच पर बैठा अपने नए आई फ़ोन में घुसा हुआ था . जाड़े का मौसम शुरु होने वाला था . मौसम सुहाना था .और शाम के चार बजे थे .लेकिन उसे किसी तरह का एहसास ही नहीं था .
अचानक पहिए पर ब्रेक लगाने की जोरदार ची की आवाज आई और धड़ाम . उसने चौंक कर सिर उठाया . उसके बाईं तरफ बमुश्किल तीन फुट की दूरी पर खड़े पेड़ से एक कार आकर टकराई थी और गाड़ी के अगले हिस्से के परखच्चे उड़ गए थे .कार का ड्राइवर की साइड का दरवाजा खुला था और एक आदमी बुरी तरह घायल आधा कार के अंदर और आधा बाहर पड़ा था ........संज्ञाशून्य .
करीब जा कर देखा तो उसे उसकी सूरत पहचानी सी लगी . पूरा शरीर खून में डूबा था लेकिन चेहरे पर खरोंच तक नहीं आई थी .अरे रे .......अनिकेत !!!
थोड़ी देर वहीं खड़ा रहने के बाद वह वापस उसी बेंच पर , उसी जगह आकर बैठ गया . बाल बाल बचा था वो .कार पेड़ से टकराई थी वरना तो उसी से टकराती .तीन फुट ......होता ही कितना है .वह अपना सिर झटक कर फिर फ़ोन में घुस गया .
पंद्रह मिनट में एक एम्बुलेंस पहुंची . घायल को लाद कर मेडिकल टीम का एक आदमी गौर से उसे देखते हुए बोला - फ़ोन आपने किया था ....? हाँ ! और वह चुपचाप जाकर घायल की बगल में बैठ गया .हूटर बजाती एम्बुलेंस हॉस्पिटल की तरफ भागी . और वह फिर फ़ोन में घुस गया .
हॉस्पिटल आया , मरीज को उतारा गया .ये हुआ , वो हुआ ,लेकिन वह फोन में घुसा ही रहा .
रात के दो बजे थे .पूरा अस्पताल सन्नाटे में डूबा था .वह मरीज़ के बगल में कुर्सी पर बैठे बैठे फ़ोन में घुसा था .तभी अनिकेत को होश आने लगा . अचानक जोर से चिल्लाते हुए अनिकेत उठ कर बैठ गया .और जैसे ही अनिकेत की नजर उस पर पड़ी ...........
साले ! कुत्ते !!कमीने !!! तेरी मेरे सामने आने की हिम्मत कैसे हुई ?आज तो मैं ......दोनों हाथों से कस कर उसका गिरेबान पकड़े अनिकेत जानें क्या क्या बकता जा रहा था .और अनिकेत की आँखे उलटती चली गईं , वो फिर बेहोश हो गया .
नीचे गिरे आई फ़ोन को उठा कर वह भागते हुए नर्सिंग स्टेशन पहुंचा .नर्स को अपनी बात बताई .नर्स सिर हिलाते हुए इण्टरकॉम पर व्यस्त हो गई .
वह आई फ़ोन में घुसा था और बेड के किनारे कुर्सी पर बैठा था .लेकिन कुर्सी बेड से लगभग चार फुट दूर थी .तभी एक डॉक्टर और वही नर्स अंदर आए . डॉक्टर ने चेकअप किया और नर्स से कुछ कह कर बाहर चला गया उसके पीछे पीछे नर्स भी चली गई .इन सब घटनाओं से निर्लिप्त वो फ़ोन में ही घुसा रहा .कुछ देर बाद नर्स आई और अनिकेत को इंजेक्शन लगा कर चली गई .
कुछ देर बाद वह फिर नर्सिंग स्टेशन पहुँचा . ड्यूटी पर मौजूद वही नर्स कुर्सी पर बैठे बैठे ऊध रही थी . उसने एक ऊँगली से उसे कोंचा तो वो हड़बड़ा कर उठी और प्रश्नवाचक नेत्रों से उसे घूरती हुई बोली - अब क्या हुआ ? जी आप के पास इस फोन का चार्जर होगा ?अपना आई फ़ोन उसे दिखाते हुए वह बोला .उसकी बात सुन कर नर्स को गुस्सा आ गया और वह जोर से बोली - नहीं . ...................!!
सुबह के आठ बज रहे थे .अनिकेत की आँख खुली तो वह हैरान होकर चारो तरफ देखने लगा . तभी रात वाली नर्स आई और उसे जागता देख खुश हो कर बोली ...' गुडमॉर्निंग सर !फ़ाइनली आप को होश आ गया .' और उसका बी .पी . और पल्स रेट चेक करते हुए बोली ...सर ! आप को तो बहुत चोट आई थी . दोनों पैर फ्रैक्चर हैं .पसली की चार हड्डियां टूट गई हैं . स्ट्रेचिंग हुई है संभाल कर बैठिएगा और कोई इन्जरी होगी तो रिपोर्ट आने पर पता चलेगा .वैसे अभी आप बिलकुल ठीक लग रहे हैं . थैंक्स सिस्टर बोल कर अनिकेत चेहरा छोड़ सारे बदन पर बंधी पट्टियों को देखने लगा . वह सोच रहा था कि वह तो ' सुधा ' से झगड़ कर घर से निकला था और जाकर बार में बैठ गया था . केवल चार पैग ही पीकर बाहर निकल आया .थोड़ी दूर जाने पर उसे सड़क के बीच कुछ दिखा .अचानक गाड़ी कंट्रोल से बाहर हो गई .इसके बाद कुछ भी याद नहीं .
उसके हाँथ में इंजेक्शन लगाते हुए नर्स बोली - सर आपके साथ जो थे वे कहाँ हैं ?वही आप को लेकर हॉस्पिटल आए थे . बहुत प्यार करते हैं आप से . पूरी रात आपके सिरहाने बैठे रहे बस एक ही अजीब बात है उनमें हमेशा फ़ोन में ही घुसे रहते हैं .मैंने रात में ही हॉस्पिटल का बिल उनको दे दिया सर ! बारह बजे के पहले डिपॉज़िट करवा दीजिएगा .
तभी अनिकेत की नजर बेड के सिरहाने पड़ी . उसके फ़ोन के नीचे एक कागज़ दबा था .हाथ में हॉस्पिटल का बिल लिए उसने महसूस किया कि नीचे कोई चिट भी पिनअप है .उसमे लिखा था .........
"तेरे कपड़े और पर्स सामने वार्डरोब में हैं . हॉस्पिटल का बिल बारह बजे तक डिपॉज़िट कर देना . तेरा फ़ोन लॉक है और खुला भी होता तो क्या .अपनी फैमिली को फ़ोन कर बुलाले .मेरा फोन डिस्चार्ज हो गया ,मैं जाता हूं ."
अनिकेत के जबड़े भिंच गए और वह सूनी आँखों से छत की तरफ देखने लगा .तभी हायहाय करती उसकी बीवी भागती आई और उसे सही सलामत देख चुप हो गई .तुमसे कितनी बार कहा झगड़ा करके घर न छोड़ा करो ,मानती हूँ मैं गुस्से में जैसा कि तुम कहते हो चुड़ैल बन जाती हूँ लेकिन मैं तुम्हें खा तो नहीं जाऊंगी .मैं तुमको जानती हूँ ,तुमने जरूर दारू पी कर ठोंक दी होगी . हाय मेरी कार . अपनी ले जाते मेरी वाली क्यों ले गए ...........और उसने फिर रोना शुरू कर दिया .और तभी डॉक्टर आ गया .डॉक्टर ने चार्ट देखा और बोला - गुड .और चला गया .उसके पीछे पीछे सुधा भी चली गई .
आधे घंटे के बाद लौटी और बेड पर बैठ कर बड़े प्यार से बोली - बिल डिपॉज़िट कर दिया . तुम घबराए घबराए क्यों हो . घबराओ नहीं तुम बिलकुल ठीक हो जाओगे .तभी कैंटीन वाला आया और टोस्ट और चाय रख कर चला गया . सुधा ने बड़े प्यार से उठा कर उसे बैठाया और चाय का कप देते हुए बोली - लेकिन तुम मेरी कार लेकर क्यों गए ? अनिकेत आहत नजरों से उसे देखने लगा .उसे इस तरह देखता पाकर बोली ...
ओके ओके अच्छा नर्स बता रही थी कि बेहोशी की हालत में तुम्हें कोई लेकर आया था और रात भर यही रहा ,सोया भी नहीं . वो कौन था ?
अनिकेत ने बताया .............!!!
उसका नाम सुनते ही सुधा के हाथ से चाय का कप छूट गया और वह फटी फटी आँखों से देखने लगी और कमरे में सन्नाटा छा गया .
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क्रमशः जारी .................




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Comments

Anil. K. Singh said…
कहानी अच्छी है कहानी से सबक लेने की ूरत है