' वो ' कौन था - अंतिम कड़ी

(इस कहानी के सभी पात्र एवं घटनाएँ काल्पनिक हैं इसे केवल मनोरंजन की दृष्टि से पढ़ा जाय )
' वो ' सुधा के सामने हाथ बांधे खड़ा था और सुधा गुस्से से चीख रही थी और उसके बुलाने पर भी न आने के कारण उसका गुस्सा चरम पर था .उसके चुपचाप रहने के कारण सुधा और जोर जोर से चीखने लगी .
' अगर तुम कल न आए तो मैं ज़हर खा कर जान दे दूँगी .' - सुधा ने रोते रोते अपना अंतिम अस्त्र चलाया और पैर पटकते वापस चली गई .
शहर का सबसे बड़ा होटल ' श्री राम विलास पैलेस ' मेहमानों से खचाखच भरा था .बारात आ गई थी और अनिकेत अकेला ही झूम झूम कर नाच रहा था कि तभी .........
भीषण धमाके के साथ पूरा होटल भरभरा कर गिर पड़ा और वातावरण चीख पुकार से भर गया .
बारात के बाहर रहने से कुछ लोग घायल तो हुए लेकिन किसी की जान नहीं गई .घरातियों में भी किसी की जान नहीं गई लेकिन रंग में भंग तो पड़ ही गया था .सायरन बज रहे थे .
' अरे दूल्हा कहाँ गया ' - कोई बाराती बोला .
तभी शहर के अफ़सर और राजनेता भी बहती गंगा में हाथ धोने और अपनी राजनीति की रोटी सेंकने पहुँच गए .और लाशें गिनी जानें लगी .
और उन लाशों में ' दूल्हे ' की भी लाश थी .
.............................................................................दो साल बाद 
अनिकेत एक सीलबंद लिफाफा खोल रहा था जो एक वकील साहब उसे दे गए थे .उस लिफाफे में केवल एक चिट्ठी थी जिसमे लिखा था .......
प्रिय अनिकेत ,
जो वकील साहब तुमको यह पत्र देंगे उनसे मेरा आग्रह था कि वे इसी समय यह पत्र तुम्हें दें ...
अनिकेत , यह पत्र तो दो साल पहले ही लिखा था लेकिन मैं चाहता था कि ये तुम्हें आज मिले .
मैं जानता हूँ कि सुधा मुझसे अत्यधिक प्रेम करती है .
लेकिन मेरी मजबूरी है , मैं विवाह नहीं कर सकता .
मैं जानता हूँ तुम सुधा को पसंद करते हो .लेकिन केवल मेरे कारण तुम कभी आगे नहीं बढ़े .
मैं विवाह क्यों नहीं करना चाहता ?यह बात मैं तुम्हें 
बताना चाहता हूँ .
आज से कई वर्ष पहले मैं सीढ़ियों से गिर गया था .
कमर के नीचे गंभीर चोट आने की वजह से मै तीन 
महीने तक बिस्तर पर पड़ा रहा .बहुत बाद में कुछ समस्या हुई तो जाँच में पता चला कि मैं कभी पिता 
नहीं बन सकता .हालांकि मैं नपुंसक नहीं हूँ .
मैं जानता हूं कि सुधा को बच्चों से बहुत प्रेम है और 
जब मुझे अपनी समस्या पता चली तो बहुत देर हो चुकी थी ,और शादी की तारीख पक्की हो चुकी थी .मैंने कई बार उसे बताने कि कोशिश की लेकिन .....
शादी के बाद कोई समस्या न पैदा हो जाए इसे लेकर मैं बहुत चिंतित था .
अंततः शादी का दिन भी आ गया .तेरे बार बार पूछने के बावजूद कि गांव से माँ क्यों नहीं आई ?मैं तुझे उत्तर नहीं दे सका .
तुझे पता है जिस दिन शादी थी उसी दिन होटल में 
बम फटा और उस मौके पर मैंने एक लाश को जिसका चेहरा विक्रित हो गया था ,अपने कपड़े पहनाकर वहाँ से गायब हो गया .
लोगों ने तो मुझे मुर्दा मान लिया लेकिन तू नहीं माना 
और मेरे गांव पहुँच गया .घर में ताला बंद देख तूने 
मेरे बारे में पूछताछ शुरू की और तुझे पता चल गया 
कि मैं जिन्दा हूँ .
मेरे दोस्त ,जब तुझे ये पत्र मिलेगा तब मैं जाने कहाँ होऊंगा .लोग मुझे भूल चुके होंगे और शायद मुझे 
गलियां देता तू भी .अगर सुधा की शादी न हुई हो तो उससे शादी कर लेना .
तुम्हारा दोस्त 
..........................................
साले ,कुत्ते ,कमीने ,......कम से कम मुझे तो बता देता कि शादी तू क्यों नहीं करना चाहता था .अरे तुझे क्या पता तेरी वो फर्जी लाश देख सुधा पागल हो गई और जब मैं तेरे गांव से लौटा इस बीच वो तीन बार आत्महत्या का प्रयास कर चुकी थी .उसे जिन्दा रखने के लिए मुझे क्या क्या नहीं करना पड़ा यहाँ तक कि तेरे जिन्दा रहते उससे शादी भी करनी पड़ी .यही सब बकता झकता रोता चिल्लाता अनिकेत उस चिठ्ठी के टुकड़े टुकड़े कर फ्लश कर आया .
...............................................
आज आठ साल बाद पैर तुड़वा कर और अस्पताल से लौट कर अनिकेत अपने बिस्तर पर पड़ा यही सब सोच रहा था और अपने आँसुओ से तकिया भिगो रहा था .
सुधा कमरे में आई और उसके आँसू पोंछते हुए बोली .....मुझे पता चल गया अनिकेत कि ' वो ' जिन्दा है .लेकिन उसने ये नाटक किया क्यों ? जरूर अंतिम समय में किसी और से शादी का मन बना चूका था तभी तो मिलने में भी कतराता था और मेरी किसी बात का जवाब तक नहीं देता था .तुम रोओ मत और दुःखी न हो .आज वास्तव में हमारे लिए ' वो ' मर गया ..................
अनिकेत ने कभी सुधा को नहीं बताया कि उसने ऐसा 
क्यों किया ? उसे अपना मित्र धर्म जो निभाना था .
.........(समाप्त )

.....लेखक की ओर से .....
मित्रों ,मेरे एक परिचित  हैं ,वे तीन साल पहले 
कही गायब हो गए और आज तक उनका पता नहीं चला .अपने पीछे वो एक पत्र अपने परिजनों के लिए छोड़ गए .उस पत्र में उन्होंने घर छोड़ने का जो कारण लिखा था उसे जान कर मुझे उन पर बड़ा तरस आया .मैं यहाँ उस कारण का उल्लेख नहीं करूँगा और न ही उन महाशय की कोई जानकारी ही दे पाउँगा .लेकिन इतना जरूर कहूँगा कि उनके जाने के बाद उनके परिवार पर बुरी बीती .
मित्रों ,किसी को भी कोई बड़ा निर्णय लेने के पहले अपने किसी विश्वसनीय से एक बार बात तो अवश्य ही कर लेनी चाहिए .केवल यही बात मैं आप को बता सकूँ और ऐसा न करने का परिणाम क्या हो सकता है .यह चर्चा करने हेतु मैंने ये "थ्रिलर " लिखा . तो मित्रों खुश रहें ,व्यस्त रहें और मस्त रहें और अपना विवेक जागृत रखें  .


Comments

Anil. K. Singh said…
चलो उसका पता चलगया आपने बढिया लिखा है।